'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' में वर्ष 2024 की 'कथेतर' श्रेणी की पुस्तकों में अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तकों की भरमार है. यह और बात है कि इनमें डॉ अरुणा कालरा, चेतन भगत, राहुल भाटिया और डॉ सुरेश पंत के अलावा डॉ पल्लव की नंद चतुर्वेदी रचनावली भी शामिल है. देखें पूरी सूची...
***
शब्द की दुनिया समृद्ध हो, हर दिन साहित्य आपके पास पहुंचे और पुस्तक-संस्कृति बढ़े, इसके लिए इंडिया टुडे समूह ने डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' की शुरुआत की थी. साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित इस चैनल ने वर्ष 2021 में पुस्तक-चर्चा पर आधारित कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में लेखक और पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इनमें 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन पुस्तक चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृतियों पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद शामिल है.
'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे प्रसारित हो रहे 'बुक कैफे' को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली है. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो हमने 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की सूचना भी- हर शनिवार और रविवार को- सुबह 10 बजे 'नई किताबें' कार्यक्रम में देनीं शुरू कर दी है.
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'.
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 से 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की तो उद्देश्य यह रहा कि उस वर्ष की विधा विशेष की दस सबसे पठनीय पुस्तकों के बारे में आप अवश्य जानें. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे सम्मानित लेखकों, साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों का खूब आदर प्राप्त है. हमें खुशी है कि वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल 5 श्रेणी- अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं.
वर्ष 2022 और 2023 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. इस वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों में 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची आपके सामने आ रही है.
'बुक कैफे' पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण के साथ ही हम पर आपके विश्वास और भरोसे का द्योतक है. बावजूद इसके हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक न पहुंची हों, यह भी हो सकता है कुछ श्रेणियों की बेहतरीन पुस्तकों की बहुलता के चलते या समयावधि के चलते चर्चा न हो सकी हो... फिर भी अध्ययन का क्षेत्र अवरुद्ध नहीं होना चाहिए. पढ़ते रहें, किताबें चुनते रहें, यह सूची आपकी पाठ्य रुचि को बढ़ावा दे, आपके पुस्तक संग्रह को समृद्ध करे, यही कामना.
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
***
साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2024 की 'कथेतर' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं-
***
* 'I Want A Boy' | डॉ अरुणा कालरा
- व्यक्तिगत उपाख्यानों से भरी यह शक्तिशाली पुस्तक, बार-बार होने वाले गर्भधारण, चुनिंदा गर्भपात और संतान के रूप में लड़के के लिए भारतीय दीवानगी को उजागर करते हुए पुराने रीति-रिवाजों पर टिप्पणी करती है. पिछले तीन दशकों में अनुमानित 4-12 मिलियन कन्या भ्रूणों का गर्भपात किया गया है, और ये क्रूर हत्याएं अभी भी जारी हैं. एक पुरुष उत्तराधिकारी की गुहार हर जगह गूंजती है, चाहे वह अपमार्केट प्रसूति गृह हो या अव्यवस्थित सरकारी अस्पताल. यह पुस्तक बताती है कि हमारा समाज आधुनिक विचारों के तमाम दावों के बीच न केवल ऐसी अमानवीय सोच को समर्थन देता है, बल्कि सभी महिलाओं से उनका आत्म-सम्मान, स्वायत्तता और कल्याण का रास्ता छीन लेता है. प्रसूति रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक-रोबोटिक सर्जन के रूप में लगभग ढाई दशक से भी अधिक समय के चिकित्सा जगत के अनुभवों को कालरा ने बेबाकी से लिख कर उन मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया है, जो इस मसले पर पढ़े-लिखों, शहर और गांव, या अमीर-गरीब के बीच अंतर देखती थीं.
- प्रकाशक: Vitasta Publishing
***
*'At The Pleasure Of His Majesty' | चंदर एम. लाल
- वर्ष 1948 में राष्ट्रमंडल देशों के लिए अपील की सर्वोच्च अदालत प्रिवी काउंसिल ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें ब्रिटिश राज-व्यवस्था के इतिहास में पहली बार किसी व्यक्ति ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जीत हासिल की. दरअसल 1937 में भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी इंदर मोहन लाल ने भारत के राष्ट्रीय खजाने की रक्षा के लिए आवाज उठाई, तो उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी. जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में उन्हें उनकी सेवा से निलंबित कर दिया गया. न्याय के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई की शुरुआत की, जो 1948 में प्रिवी काउंसिल द्वारा भारत के उच्चायुक्त और पाकिस्तान के उच्चायुक्त बनाम आई.एम. लाल के फैसले में उनकी बर्खास्तगी को उलटने और उन्हें बहाल करने के फैसले के साथ समाप्त हुई. यही लड़ाई और निर्णय बाद में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 की नींव बना, जिसके तहत किसी भी सिविल सेवा अधिकारी को पद से हटाने या पद से हटाने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करने का प्रावधान है. पुस्तक इस लाल की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बीच विभाजन के दौरान लाहौर में रहने वाले उनके हिंदू परिवार के साथ हुई घटनाओं को भी बताती है.
- प्रकाशक: Rupa Publications
***
* 'शब्दों के साथ-साथ 2: विविध शब्दों और उनके व्यावहारिक ज्ञान को सामने लाने वाली पुस्तक' | डॉ सुरेश पंत
- शब्दों की यात्रा, उनके अर्थ और भाव बेहद रोचक और आकर्षक हैं. कोई शब्द सरल या कठिन नहीं होता, बल्कि वह व्यक्ति की अपनी जानकारी पर निर्भर करता है. अब इन्हीं शब्दों को देखें- 'आस्था, निष्ठा और श्रद्धा' पर्याय के रूप में दिखते हैं, पर हैं नहीं... इसी तरह 'ज्ञान, विवेक और समझ' में भी है अंतर. 'स्थिर, स्थायी और टिकाऊ' के साथ ही 'हत्या और वध' जैसी क्रूर प्रकियाओं के बीच यह जानना भी जरूरी है कि
'सटना, चिपकना और चिपटना...' में क्या अंतर है? शब्द कैसे बनते हैं? उनका प्रयोग कैसे होता है? एक जैसे दिखने वाले शब्द कैसे अलग हो सकते हैं? ऐसे तमाम सवालों का सरल जवाब है यह पुस्तक, जो शब्दों और उनके व्यावहारिक ज्ञान को सामने लाती है. डॉ पंत की पूर्व में प्रकाशित 'शब्दों के साथ-साथ' की यह दूसरी कड़ी है. पुस्तक के 83 अध्याय भारतीय, विशेषकर हिंदी भाषा के शब्द भंडार और शब्द विवेक को समझाने का प्रयास करते हैं.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
***
* 'Those Who Stayed: The Sikhs of Kashmir' | बुपिंदर सिंह बाली
- कश्मीर घाटी में सिख समुदाय की गिनती इतनी कम है कि उन्हें 'लघु अल्पसंख्यक' कहना चाहिए. यह पुस्तक घाटी में अपने अस्तित्व के खतरों का सामना कर रहे समुदाय के संघर्ष की कहानी है. कश्मीर के सिख, उनका अतीत, वर्तमान और अनिश्चित भविष्य की यह मार्मिक खोज एक गहरा मानवीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है. शोध, रिपोर्ट, दस्तावेज और मौखिक इतिहास, उत्तरजीवियों की गवाही और व्यक्तिगत उपाख्यानों से लेखक जिन स्थितियों का विवरण यहां रखता है, वे बेहद परेशान करने वाले हैं. पुस्तक विभाजन की भयावहता और 1947 के कबीलाई छापामार आक्रमणों से लेकर चिथिसिंहपोरा और महजूर नगर में लक्षित हत्याओं- तीन दशकों की अशांति से लेकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने तक- एक समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अस्तित्व के संघर्ष की एक दुर्लभ झलक प्रस्तुत करती है.
- प्रकाशक: Amaryllis
***
*'Harvard, Oxford and Cambridge: The Past, Present and Future of Excellence in Education' | Rajesh Talwar
- यह पुस्तक दुनिया के तीन प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों: ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और हार्वर्ड की आकर्षक शैक्षिक और सांस्कृतिक यात्रा पर ले जाती है, साथ ही पश्चिम में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता की तुलना दुनिया के अन्य भागों, विशेष रूप से एशिया में दी जाने वाली शिक्षा से करती है. पुस्तक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन से भारत में 100 प्रतिशत साक्षरता की बात करती है. भारतीय शिक्षा प्रणाली में विस्तार, समानता, रोजगार और उत्कृष्टता के मुद्दों को संबोधित करने के साथ ही पुस्तक ऐसे सवालों के जवाब भी देती है जो बुद्धिजीवियों को हैरान करते हैं. जैसे भारतीयों में ऐसा क्या खास है कि उनमें से कई दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के सीईओ बन गए हैं? ऐसा कैसे है कि भारत चांद पर अंतरिक्ष यान उतार सकता है, लेकिन इसकी कई सड़कें, इमारतें और घर लगातार जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं? लेखक अनौपचारिक, प्रासंगिक और अद्वितीय शैली में भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और तेजी लाने के लिए शानदार, अपरंपरागत, अनोखे सुझाव देते हैं और दावा करते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव से भारत वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो सकता है.
- प्रकाशक: Bridging Borders
***
* 'हिंदी आलोचना कोश' | हरेराम पाठक
* नौ खंडों में प्रकाशित हिंदी के अपनी तरह के इस पहले कोश में 1844 से 1960 तक के कालखंड के आलोचक-साहित्यकारों पर एक गहन दृष्टि डाली गई है. आधुनिकता ने साहित्य में लोक मंगल की अवधारणा को विघटित कर दिया है. ऐसे में साहित्यालोचन के पुराने मानक प्रश्न के घेरे में हैं. साहित्य में विवेक के स्थान पर कुतर्क और साहित्य में व्याप्त त्रुटियों को लेकर आलोचक कितना अपनी बौद्धिकता से संचालित है, कितना स्वाध्याय से, इतना परिस्थितियों से और कितना विचार से, पाठक इसे परखने के साथ-साथ न्याय के आधारभूत श्रोतों पर विचार करते हुए हिंदी आलोचना के वृहद परिदृश्य पर नज़र डालते हैं. उनका मत है कि आलोचक हमेशा ही अपने विवेक से साहित्य का मूल्यांकन करता है, पर उसके विवेक का आधार क्या है, वह विवेक कितना प्रामाणिक है, यह चिंतन का विषय है. आलोचक की तटस्थता अथवा निष्पक्षता को 'नीर-क्षीर विवेक न्याय' से जोड़ते हुए यह कृति आलोचना के बहाने हिंदी साहित्य उस पूरे कालखंड को सामने रखती है.
- प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
***
* '11 Rules For Life: Secrets to Level Up' | चेतन भगत
- यह भारत के सबसे सफलतम लेखकों में से एक के जीवन का निचोड़ है, जिसमें वे अपने पाठकों को सफलता के उन 11 नियमों के बारे में बताते हैं, जो हर किसी के लिए अनिवार्य है. यह चेतन की अब तक की सबसे निजी पुस्तक है, जिसमें वे अपनी असफलताओं और जीत के साथ ही जीवन में सफलता पा चुके व्यक्तियों से संवाद और एक प्रेरक वक्ता के रूप में अपने दो दशकों से अधिक के अनुभवों को साझा करते हैं. अनूठी शैली में लिखी गई यह प्रेरणादायी पुस्तक पढ़ने में आसान और सीधी-सादी मार्गदर्शिका है. आज की अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और संघर्षपूर्ण दुनिया में सफलता पाने के लिए यह अपने पाठकों, विशेषकर युवाओं के मस्तिष्क को जाग्रत करने के साथ ही उन्हें व्यवस्थित करने में भी सहायता करती है.
- प्रकाशक: HarperCollins India
***
* 'The Identity Project' | राहुल भाटिया
*18वीं सदी में दयानंद सरस्वती और आर्य समाज के उदय से लेकर बीसवीं सदी की शुरुआत तक, जब हिंदू राष्ट्रवाद के आरंभिक पैरोकारों ने ताकतवर यूरोपीय लोगों से सबक लिया, भाटिया इस पुस्तक से उस कट्टरपंथी विचारधारा के विकास का पता लगाने की कोशिश करते हैं, जिसने चुपचाप न केवल अपनी जड़ें जमा ली हैं, बल्कि नए भारत को आकार भी दिया है. लोकतंत्र में मतदाता अपनी सरकार चुनते हैं, लेकिन भारत में सरकार अपने मतदाताओं को चुनने का प्रयास कर रही है. छह साल के शोध और जमीनी रिपोर्टिंग के आधार पर लिखी गई यह पुस्तक आधुनिक भारत की कहानी कहती है. सैकड़ों साक्षात्कारों, पत्रों, डायरी प्रविष्टियों, विभाजन-युग की पुलिस रिपोर्टों और स्रोतों की आश्चर्यजनक जानकारियों का उपयोग करते हुए लेखक बताता है कि इतिहास वर्तमान में कैसे आवर्ती भूमिका निभाता है. यह पुस्तक हर पाठक को यह सोचने के लिए बाध्य करती है कि वास्तव में वे अपने पड़ोसियों और खुद के बारे में क्या समझते हैं?
- प्रकाशक: WestLand Books
***
* 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' | पल्लव
* नंद चतुर्वेदी की लेखन, विचार, अनुवाद, सृजन और काव्य यात्रा अपनी शताब्दी की भी सृजनात्मक-यात्रा है. औपनिवेशिक-सामंती भारत से भूमंडलीकृत-आधुनिक भारत की इस सुदीर्घ यात्रा में भाषा और रूप में भी पर्याप्त बदलाव देखे जा सकते हैं. ब्रजभाषा के पारम्परिक सवैयों से प्रारम्भ कर चतुर्वेदी अपनी कविताओं को जिस छंदमुक्त लय में आधुनिक भावबोध के साथ रचते हैं वह हिंदी काव्य भाषा के विकास का भी सुंदर उदाहरण है. पल्लव ने परिश्रमपूर्वकइस रचनावली' का संपादन किया है. पहले खंड में कवि का समूचा काव्य संसार आ गया है. इसमें उनके सभी प्रकाशित संग्रहों की कविताओं के साथ-साथ अप्रकाशित अनेक कविताएं और गीत- छंद इत्यादि भी मौजूद हैं. दूसरे खंड में 'चिंतन-आलोचना-समीक्षा' का गद्य संकलित है. कथेतर की विभिन्न विधाओं से संकलित तीसरे खंड में चतुर्वेदी की रचनाशीलता के अनेक रूप विद्यमान हैं और अंतिम खंड में मुख्यतः कवि का अनुवाद कर्म है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
***
* 'Just Rights: Why Justice Should Be A Fundamental Right' | भुवन ऋभु
* बाल विवाह जैसे अपराध से बचाव के लिए न जाने कितने ही कानून हैं, मगर इससे पीड़ित बच्चों की अब तक कितनी मदद हो पाई? यह सोचने का विषय है. सामाजिक न्याय, बाल विवाह के खिलाफ़ कैम्पेन और उनसे संबंधित कानून बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले लेखक का प्रशन है कि आप कानून चाहते हैं या न्याय? यह पुस्तक न्याय के अधिकार को 'मौलिक अधिकार' के रूप में स्वीकारने का आह्वान करती है. यह राज्य और व्यक्ति के संबंधों पर विचार करने का नया तरीका प्रस्तुत करती है, जिसमें न्याय- नागरिक अधिकारों का हिस्सा होता है, राज्य का कृपा का नहीं. लेखक मानता है कि न्याय का मौलिक अधिकार समाज और चेतना में संतुलन का आधार है. न्याय चाहने वाले बच्चों और परिवारों के वास्तविक जीवन के अनुभवों से युक्त यह कृति मानवता के साथ-साथ भारत के उस दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त करती है, जिसमें न्याय की प्रभावी नींव और छत्रछाया के माध्यम से समानता, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है.
- प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
***
वर्ष 2024 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!
हम स्पष्ट कर दें, यह क्रमानुसार रैंकिंग नहीं है. टॉप 10 सूची में स्थान बनाने वाली सभी पुस्तकें आपकी 'हर हाल में पठनीय' पुस्तकों में शामिल होनी चाहिए. वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों की यह शृंखला 31 दिसंबर तक जारी रहेगी.