छह-सात दशक पहले किताबों के पाठक बहुत ही कम होते थे लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ी है. मशहूर लेखक रस्किन बांड ने यह बात विक्टोरिया मेमोरियल में कोलकाता साहित्य बैठक की शुरूआत करते हुए कही.
स्कूल में अपने दिनों को याद करते हुए 80 वर्षीय लेखक ने कहा कि उस समय टेलीविजन, इंटरनेट या वीडियो गेम भी नहीं थे जिन्हें हम पढ़ने की आदत नहीं होने के लिए दोषी ठहराएं और तब मेरी कक्षा में 35 छात्रों में से दो-तीन ही किताब पढ़ने के शौकीन थे. उन्होंने कहा, ‘वास्तव में पढ़ने की आदत नहीं होना, आज ही नहीं है बल्कि यह पहले भी नहीं थी.’ बांड ने कहा, ‘आज भी किताब पढ़ने की आदत नहीं होना पहले की ही तरह आम बात है लेकिन, अब किताबों के पाठकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और इसका कारण शिक्षितों की संख्या में बढ़ोतरी है.’
लेखक ने कहा, ‘हमारे पास अच्छे पुस्तकालय होते थे. हम विमुख नहीं हुए थे. हम कभी-कभार सिनेमा भी जाते थे लेकिन पढ़ने की आदत हमेशा कुछ लोगों तक ही सीमित थी.’