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गीतांजलि श्री बोलीं- बुकर पुरस्कार पाकर अभिभूत हूं, साहित्य और स्वयं के प्रति जिम्मेदारी बढ़ गई है

Booker Prize: गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद टॉम्ब ऑफ सैंड के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बुकर पुरस्कार ग्रहण करने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा है कि ये हिंदी भाषा और साहित्य की मान्यता है.

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गीतांजलि श्री को मिला बुकर पुरस्कार
गीतांजलि श्री को मिला बुकर पुरस्कार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लंदन में आयोजित कार्यक्रम में दिया गया सम्मान
  • साहित्य के प्रति बढ़ी जिम्मेदारी- गीतांजलि श्री

Booker Prize: हिंदी की प्रसिद्ध उपन्यासकार गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेजी अनुवाद 'Tomb of Sand' को साहित्य का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार दिया गया है. ये उपन्यास बुकर पुरस्कार के साथ ही कई उपलब्धियां गीतांजलि श्री के नाम कर गया. ये किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई पहली साहित्यिक कृति बन गया है जिसे बुकर पुरस्कार मिला है. 

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बुकर पुरस्कार ग्रहण करने के बाद गीतांजलि श्री ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने बुकर पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस सम्मान के साथ अपने प्रति, साहित्य के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी है. गीतांजलि श्री ने कहा कि ये एक तरह से हिंदी भाषा और साहित्य की मान्यता है. उन्होंने साथ ही ये भी जोड़ा कि हिंदी के पास समृद्ध साहित्य है जिसे खोजने की जरूरत है.

इससे पहले, लंदन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. गीतांजलि श्री ने ये सम्मान डेजी रॉकवेल (Daizy Rockwell) के साथ साझा किया. डेजी रॉकवेल ने ही गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' का अंग्रेजी में 'टॉम्ब ऑफ सैंड' नाम से अनुवाद किया था. बुकर पुरस्कार ग्रहण करने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा कि कभी भी ये पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था. कभी नहीं सोचा था कि ये भी कर सकती हूं. ये कितना बड़ा सम्मान है.

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उन्होंने आगे कहा कि बुकर पुरस्कार मिलने पर विनम्रता से कहना चाहती हूं कि मैं चकित हूं, प्रसन्न हूं और बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं. इस पुस्तक को चुनने के लिए बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद. गीतांजलि श्री ने कहा कि इस पुरस्कार में संतोष है. उन्होंने अपनी पुस्तक रेत समाधि की भी चर्चा की और कहा कि इसमें उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है, जहां हम रहते हैं. गीतांजलि श्री ने उम्मीद जताई कि बुकर पुरस्कार मिलने के बाद ये पुस्तक और लोगों तक भी पहुंचेगी.

लगातार इंटरव्यू और बधाई संदेशों को स्वीकार करने में व्यस्त गीतांजलि श्री ने कहा कि उनका लिखना जारी रहेगा. उन्होंने कहा,  "बुकर का मतलब यह नहीं है कि उनका लेखन बंद हो जाएगा. इस सब के बाद हम जल्द ही उसकी सामान्य और शांत दिनचर्या में वापस आ जाएंगे और लिखना शुरू कर देंगे."

बुकर मिलने के बाद गीतांजलि ने कहा कि इस पुरस्कार में एक उदासी भरा संतोष है. रेत समाधि, Tomb of Sand उस दुनिया के लिए शोकगीत है जिसमें हम रहते हैं, एक ऐसा शोकगीत जो आने वाली कयामत के सामने भी उम्मीद बरकरार रखती है. 

गीतांजलि श्री का मूल उपन्यास रेत समाधि हिंदी भाषा में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था. राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी भी कार्यक्रम में मौजूद थे. अशोक माहेश्वरी ने कहा कि ये भारतीय साहित्यिक समुदाय के लिए बहुत बड़ी बात है कि एक हिंदी उपन्यास को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिया गया.

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उन्होंने कहा कि हिंदी को ये पुरस्कार अंग्रेजी के माध्यम से मिला. रेत समाधि का अंग्रेजी में Tomb of Sand नाम से डेजी रॉकवेल ने अनुवाद किया था. ये दर्शाता है कि रेत समाधि ने हिंदी से हटकर वैश्विक स्तर पर भी पाठकों, लेखकों और प्रकाशकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा.

 

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