लेखिका अनु सिंह चौधरी ने किताब लिखी है 'मम्मा की डायरी'. इस रविवार यानी 17 मई को इस किताब के बहाने कुछ मांएं अपनी मांओं से जुड़ी यादें, किस्से और मदरहुड-पैरेंटिंग के अनुभव शेयर करेंगी.
कुछ पिता और पुत्र भी होंगे जो अपने अनुभव साझा करेंगे. 'हिंदयुग्म' प्रकाशन की इस चर्चा में शरीक होना चाहते हैं तो इंडिया हैबिटेट सेंटर के कैसुरिना सभागार पहुंचें. कार्यक्रम में MCBC FILMY की शॉर्ट फिल्म ‘आओगी ना मां’ की स्क्रीनिंग भी होगी.
किताब के बारे में
'मम्मा की डायरी' मां की बेबाक, बेलौस डायरी है. यह किताब एक मां के नोट्स हैं, लेखिका का अपना ज़िन्दगीनामा है तो दूसरी मांओं के किस्से भी. बच्चों को पैदा करने से लेकर उनकी परवरिश के क्रम में एक पेरेन्ट, एक परिवार, एक समाज किस तरह ख़ुद को कितना बदलता है (या नहीं बदल पाता), उसका लेखा-जोखा. 'मम्मा की डायरी' न पेरेन्टिंग गाइड है और न फिक्शन, न मातृत्व पर सलाह है. तजुर्बों का एक संकलन है, और कुछ मुश्किल सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश. किताब नॉन-फिक्शन है, और इसमें शामिल क़िस्से असल ज़िन्दगी के टुकड़े हैं.
क्या: 'मम्मा की डायरी' के बहाने मांओं पर बातचीत
कब: रविवार, 17 मई 2015, शाम 6:30 बजे से 8 बजे तक
कहां: कैसुरिना हॉल, इंडिया हैबिटेट सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली
क़िस्से बांटने वालों के नाम
मनीषा पांडेय
नताशा बधवार
सायरी चहल
प्रीति अग्रवाल मेहता
रमा भारती
विजय त्रिवेदी
मंजीत ठाकुर
रंजना सिंह
निरुपमा सिंह
विनीता सिन्हा
क्षितिज रॉय
प्रियंका मंजरी
नीलम मिश्रा
तूलिका