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कर्मचारियों और प्रबंधन में विवाद से स्थिति तनावपूर्ण, फिर संकट में गीता प्रेस

कर्मचारियों और प्रबंधन में विवाद से स्थिति तनावपूर्, फिर संकट में गीता प्रेस.

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दुनिया भर में कर्मयोग का सन्देश प्रसारित करने वाले गीता प्रेस में तीन दिन से काम बंद है. बीते 8 अगस्त को 18 कर्मचारियों के निलंबन और सामूहिक कटौती के आदेश से भड़के कर्मचारी धरना-प्रदर्शन के बाद अब श्रम न्यायालय की शरण में चले गए हैं. गीता प्रेस प्रबंधन के मुताबिक कर्मचारियों ने सहायक प्रबंधक मेघ सिंह चौहान के साथ दुर्व्यवहार और हाथापाई करने की कोशिश की थी जबकि कर्मचारी इसे गलत इलज़ाम बताते हैं.

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कर्मचारी नेता मुनिवर मिश्र ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि ‘पहले प्रबंधन ने बिना शर्त वेतन वृद्धि की बात कही थी लेकिन 7 अगस्त को जब पता चला की इसके साथ अगले 5 साल वेतन वृद्धि की मांग न करने और पहले से चल रहे मुकदमों को वापस लेने जैसी शर्ते लगायी गयी हैं तो कर्मचारियों ने चौहान से इसकी कैफियत पूछी और इस्तीफ़ा माँगा. लेकिन अगले दिन दोपहर बाद नोटिस बोर्ड पर निलंबन और सामूहिक वेतन कटौती की नोटिस लगा दी गयी.’ बहरहाल अब मामला जिला श्रम आयुक्त तक पहुंच गया है जहाँ 11 अगस्त को दोनों पक्षों को बुलाया गया है.

इधर इस विवाद के चलते हर दिन औसतन 14 लाख रु. मूल्य की पैंसठ हज़ार से ज्यादा किताबों की बिक्री करने वाले गीता प्रेस में तीन दिनों से काम ठप है. गीता प्रेस के न्यासी ईश्वर पटवारी कहते हैं- ‘जो कर्मचारी आना भी चाहते हैं उन्हें धमकियाँ दी जा रही हैं. अनुशासन की कीमत पर काम जारी रखने का कोई मतलब नहीं है.’

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कर्मचारियों और गीता प्रेस प्रबंधन के रिश्तों में तल्खी का ताज़ा दौर पिछले साल के आखिरी दिनों में शुरू हुआ था जब १६ दिसंबर को एक दिन के लिए 92 साल पुरानी इस संस्था के दरवाजों पर ताले लटक गए थे.

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