हिंदी के जाने-माने रचनाकार दूधनाथ सिंह गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं. दूधनाथ सिंह प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित हैं और उनका इलाज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स, में चल रहा है.
फिलहाल वह पिछले हफ्ते से अपने इलाहाबाद स्थित आवास में हैं. दूधनाथ सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1994 में रिटायर होने के बाद से इलाहाबाद में रहते हैं. वह पिछले एक साल से प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित हैं.
दूधनाथ सिंह हिंदी के उन विरले रचनाकारों में से हैं, जिन्होंने कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचना समेत लगभग सभी विधाओं में लेखन किया है.
उनके उपन्यास आखिरी कलाम, निष्कासन, नमो अंधकारम हैं. दूधनाथ सिंह के कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. इनमें 'सपाट चेहरे वाला आदमी', 'सुखांत', 'प्रेमकथा का अंत न कोई', 'माई का शोकगीत', 'धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे', 'तू फू', 'कथा समग्र' हैं.
वहीं, उनके तीन कविता संग्रह भी प्रकाशित हैं. इनके 'एक और भी आदमी है' और 'अगली शताब्दी के नाम' और 'युवा खुशबू' हैं. इसके अलावा उन्होंने एक लंबी कविता- 'सुरंग से लौटते हुए' भी लिखी है.
दूधनाथ ने यमगाथा नाम का नाटक भी लिखा है. आलोचना में उन्होंने 'निराला: आत्महंता आस्था', 'महादेवी', 'मुक्तिबोध: साहित्य में नई प्रवृत्तियां' जैसी स्थापनाएं दी हैं.
दूधनाथ सिंह को भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान और कई राज्यों का हिंदी का शीर्ष सम्मान मिला है.