इंडिया टुडे का आईटी आर्ट अवॉर्ड 2018 कोलकाता में आयोजित हुआ. इस दौरान दुनिया में कलाओं के महत्व को लेकर इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी ने कहा, "कलाओं के बिना हमारी दुनिया बेरंग, आत्माहीन और बुद्धिहीन होगी. आईटी अवॉर्ड का मकसद सौंदर्य और प्रतिभा का जश्न मनाना नहीं, बल्कि समाज और कला के लिए महत्वपूर्ण कार्य करना है." कार्यक्रम के दौरान कलाकारों का सम्मान किया गया.
इंडिया टुडे आर्ट्स अवार्ड्स के चौथे एडिशन में अरुण पुरी ने कहा, "मैं यहां एक ऐसे शहर में दूसरी बार आकर बेहद खुश हूं जो कला का सम्मान करता है."
अरुण पुरी ने कहा "वैश्वीकरण के आलोचक हो सकते हैं, लेकिन मैं उनमें से एक नहीं हूं. मुझे लगता है कि ग्लोबलाइजेशन में दुनिया को बराबर कर दिया है. इससे हर किसी को एक जैसे मौके मिलते हैं, न कि हमारे बीच के मेतभेद खत्म होते हैं. जितना आप अपनी संस्कृति के करीब होंगे, उतना ही दुनिया इसकी खूबसूरती और ताकत को गले लगाएगी. ऐसी चीज कभी भी पर्याप्त नहीं होती जो दुनिया के लिए प्रेरक हो, मोहक हो और मंत्रमुग्ध करे."इससे पहले अरुण पूरी ने अपनी पेरिस यात्रा का भी जिक्र किया.
"मैंने हाल ही में नाउशिमा की यात्रा भी की थी. इसे जापान का आर्ट आइसलैंड भी कहा जाता है. यहां मुझे अहसास हुआ कि कला, जिसे हम पारंपरिक तौर पर उसके अनुक्रम, दोहरेपन और विभाजन के जरिए जानते हैं, अब वह प्रासंगिक नहीं रह गई है. यहां की कला में वस्तु-कला और कुदरत का बेहतरीन मिश्रण था. इन कलाओं के लिए यहां पर एक प्रदर्शनी रखी गई थी. इसके अलावा स्थायी रूप से इसे दिखाने के लिए संग्रहालय बनाए गए थे. ये बहुत अच्छा था.
"लेकिन, जो चीज नई, उत्तेजित करने वाली थी. वह थी हाई और लो आर्ट, कला और कलात्मक आर्ट, विजुअल आर्ट और परफॉर्मेंस आर्ट. जातीय और अंतरराष्ट्रीय कला की सीमाओं को तोड़ना. सभी कलाएं एक तमाशा, एक उत्पादन और एक कर्म थीं. जैसे कि किसी ने कहा है कि संभावना के सभी बंद दरवाजों के ताले तोड़ दो. सुन्न पड़ चुकी भावनाओं को फिर बहाल करो और इच्छाओं को फिर जगाओ."

अरुण पुरी ने बताया, "चार साल पहले इंडिया टुडे आर्ट अवॉर्ड शुरू हुआ था. हमारा इरादा नई विविधता को स्वीकार करने और नए प्रयासों को पुरस्कृत करना था." अपनी स्पीच के दौरान उन्होंने बताया कि बेहद कम समय में जिस मकसद से ये अवॉर्ड शुरू हुआ था उसे लेकर खुशी होती है. उन्होंने यह भी कहा, "इसके जरिए हमने सिलसिलेवार तरीके से आर्ट्स के लीजेंड को सम्मानित भी किया. 2015 में एस. एच. रजा, 2016 में सतीश गुजराल जैसी हस्तियों को सम्मानित किया गया."
"हमने ऐसा इसलिए कर लिया क्योंकि हम केवल सौंदर्य और प्रतिभा का जश्न मनाने में भरोसा नहीं करते हैं. हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे समाज के लिए कला बेहद महत्वपूर्ण है."
आदिवासियों की मास्क बनाने की कला और दलित की रसोई कला का जिक्र करते हुए अरुण पुरी ने कहा, हमें इसकी जरूरत है. जरूरत है उप-संस्कृतियों को समृद्ध करने और इसके नवीनीकरण की.
आखिर में अरुण पुरी ने विजेताओं को लेकर कहा, "आप लोगों को चुनना आसान नहीं था. इसके लिए मैं ज्यूरी का शुक्रगुजार हूं. इसके लिए मैं रेखा पुरी, अमन नाथ, प्रिया पारुल, अमीन जफ़र, नदा राजा, पिंकी रेड्डी, राधिका चोपड़ा आनंदन का शुक्रगुजार हूं. मेजबानी के लिए मधु नेवतिया का भी शुक्रगुजार हूं."
अरुण पुरी ने कहा, "बिना कला के हमारी दुनिया बेरंग, आत्माहीन और बुद्धिहीन होगी. लेडीज एंड जेंटलमैन आइए कला का सम्मान करते हैं. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया."