उपन्यासकार, आलोचक और संगीतज्ञ अमित चौधरी ने फिल्म निर्माताओं से फिल्म निर्माण में बेहतर रंगों का समावेश करने का सुझाव देते हुए कहा है कि सिनेमा जब से रंगीन हुआ है तब से उसने कुछ खोया ही है. गुलाबी नगर के डिग्गी पैलेस में चल रहे पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन के सत्र ‘क्लियरिंग ए स्पेस बिटविन फेक्ट एंड फिक्शन’ में चौधरी ने कहा, ‘जैसे ही सिनेमा श्वेत-श्याम से रंगीन हुआ, उसने कुछ खोया ही है.
निर्माताओं को इस पर सोचने की जरूरत है कि फिल्म को रोचक बनाने के लिये प्रयोग में लिये गये रंगों को आकर्षक तरीके से पेश करें जिससे दर्शक उससे आकर्षित हों. मशहूर शो ‘चार्ली चैपलिन’ का उदाहरण देते हुए कहा कि यह शो श्वेत-श्याम और खामोश होने के बावजूद बहुत ज्यादा पंसदीदा रहा. कई पुरस्कारों से सम्मानित चौधरी ने दो अलग-अलग कलाओं की तुलना का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पाश्चात्य थियेटर के सेट को जीवंत बनाने के लिये अलग अलग ढंग से रंगों का उपयोग किया जाता सजाया जाता है.