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'गांव कनेक्शन' वाले नीलेश मिसरा का स्ट्रगल, फ्लॉप फि‍ल्मों में ल‍िखे आइकॉनिक गाने, बताई अधूरी ख्वाह‍िश

लेखक नीलेश मिसरा 'साहित्य आजतक 2024' में आए. उन्होंने 'गांव कनेक्शन' को बनाने, कहानियां सुनाने और एक्टर बनने पर बात की. अपने स्ट्रगल के बारे में भी बताया.

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नीलेश मिसरा
नीलेश मिसरा

साहित्य के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आगाज हो चुका है. लेखक नीलेश मिसरा 'साहित्य आजतक 2024' में आए. उन्होंने 'गांव कनेक्शन' को बनाने, कहानियां सुनाने और एक्टर बनने के सफर पर बात की. अपने स्ट्रगल के बारे में भी बताया. कहा कि किस तरह वो बच्चों के लिए अब किताबें लिख रहे हैं. साथ ही एक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन एक शर्त पर. 

गांव कनेक्शन क्यों स्लो है?
जब मैं पलटकर देखता हूं तो मुझे लगता है कि ये हमेशा से ही मेरे जीवन का सपना रहा. जिस तरह की पत्ररकारिता की, गीत लिखे, या कॉन्टेंट लिखा. गांव से दुनिया को देखने की. मैं मुंबई छोड़कर आ गया था. मैं उस गांव से इस दुनिया को देख रहा था. पहले ये मान चुका था कि अब मैं वो दुनिया छोड़कर आ गया हूं, मेरी वहां की पारी खत्म हो गई है. मैं सैटिस्फाई था. जब एक बार पंकज त्रिपाठी से‍ मिला और बात की तो लगा इसे शो बना देता तो अच्छा होता. बस यही से स्लो शुरू हुआ.  जिस तरह की बात इंटरव्यू में होती थी तो वो आम बोलचाल में होती थी. अचानक मैंने रियलाइज किया कि लाखों लोग इसी तरह से सोच रहे हैं. यही बातें करना चाहते हैं. वहां से लाइफ इवॉल्व होनी शुरू हुई. कोविड मैं मैंने बैठकर स्ट्रक्चर बनाया. 

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गीतकार बनना चाहते थे नीलेश
बचपन से ख्वाहिश थी कि मैं गाऊं. मेरे पेरेंट्स ने मुझे कभी गाना सीखने नहीं दिया. मेरी कोई ट्रेनिंग नहीं है और ये मेरा बहुत बड़ा अफसोस है. मैं लाइव शोज में गाता हूं. और कहकर गाता हूं कि मैं बाथरूम सिंगर हूं. मैंने उन फिल्मों के लिए भी लिखा है जो सुपर फ्लॉप हो गई थीं. पर गाने हिट हो गए थे. 

छोटे गांव कस्बे के टैलेंट को मौका देना चाहते हैं नीलेश
मेरे लिए डीसेंसी मायने रखती है. मैं इसलिए छोटे शहरों और गांव के टैलेंटेड लोगों पर फोकस करना चाहता हूं. फिल्में भी हम मासूमियत के साथ बनाएं. 

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