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मैं नहीं गया किसी मस्जिद तक, मुझे मत मारो

पेशावर हमले के बाद एक कविता, 'मैं दंगाई नहीं, मुझे मत मारो.'

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Pakistan Peshawar Attack
Pakistan Peshawar Attack

मैं दंगाई नहीं
मैं आज तक
नहीं गया
किसी मस्जिद तक
किसी मंदिर के अंदर क्या है
मैंने नहीं देखा,
सुनो
रुको
मुझे गोली न मारो
भाई
तुम्हें तुम्हारे मजहब का वास्ता
मत तराशो
अपने चाकू मेरे सीने पर,
जाने दो मुझे
मुझे
तरकारियां ले जानी हैं
मां
रोटिया बेल रही होंगी!

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पेशावर हमले पर यह कविता हमें आज तक के पाठक अमित आनंद ने भेजी है. आप भी कविताएं या कहानियां लिखते हैं तो उसे booksaajtak@gmail.com पर भेज सकते हैं.

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