श्रीभगवद्गीता के श्लोक अगर आपको उर्दू शायरी के रूप में पढ़ने को मिलें तो आप क्या कहेंगे! जी हां, यह संभव हुआ है मशहूर शायर अनवर जलालपुरी के हुनर और मेहनत की बदौलत. उन्होंने भगवान कृष्ण के उपदेशों को संजोए हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी अखलाकी तालीमात की किताब भगवद्गीता को उर्दू शायरी में तब्दील करके पेश किया है.
किताब में गीता के 701 श्लोकों को 1761 अशआर में ढालकर पेश किया गया है. गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस देश में लोगों को रूहानी पैगाम के जरिये फायदा पहुंचाने की एक कोशिश है. जलालपुरी का कहना है कि जंग के मैदान में अपनों को दुश्मन के रूप में खड़ा देखकर अर्जुन के जेहन में पैदा हुई कशमकश, अंतर्द्वंद्व और उस पर भगवान कृष्ण की तनकीद और तर्कों को उर्दू के अशआर में बेहद आसान अल्फाज में भावान्तरित करके किताब में उतारा गया है.
कुछ श्लोक तो एक ही शेर में उतर गये जबकि कुछ को उर्दू शायरी की तबीयत और नफासत में ढालने के लिये कई अशआर में फैलाना पड़ा. मिसाल के तौर पर संस्कृत में लिपिबद्ध भगवद्गीता के पहले और दूसरे श्लोक का भावान्तरण कुछ इस तरह से किया गया है-
कृष्णा ने अर्जुन को समझा दिया, अमल की हक़ीक़त को बतला दिया
बताया कि योगी है मर्दे अमल, अमल ही से है उसका जीवन सफल
बिना फल अमल जो करे उम्र भर, बने राहे हक़ उसकी ही रहगुज़र.
अमल को जो समझे कि वह फ़र्ज़ है, वह जाने कि वह फ़र्ज़ भी क़र्ज़ है.
जलालपुरी की इस किताब का विमोचन हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और संत मोरारी बापू ने किया था.