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राष्ट्रपति ने मशहूर कवि डॉ. केदारनाथ सिंह को ज्ञानपीठ पुरस्कार से किया सम्मानित

'उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा, दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए.' 'हाथ' कविता की ये लाइनें लिखने वाले मशहूर कवि डॉ. केदारनाथ सिंह को सोमवार देर शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया.

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डॉ. केदरनाथ सिंह के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
डॉ. केदरनाथ सिंह के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

'उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा, दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए.' 'हाथ' कविता की ये लाइनें लिखने वाले मशहूर कवि डॉ. केदारनाथ सिंह को सोमवार देर शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया.

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस मौके पर कहा कि केदारनाथ ने अपनी कविताओं के जरिए हमें अनुप्रास और काव्यात्मक गीत की दुर्लभ संगति दी है. सिंह को संसद के पुस्तकालय भवन स्थित बालयोगी प्रेक्षागृह में 49वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी इच्छा है कि नई पीढ़ी भारतीय क्लासिक में गहराई तक उतरे.

पढ़िए केदारनाथ सिंह की कविता 'दाने'...
नहीं, हम मण्डी नहीं जाएंगे
खलिहान से उठते हुए
कहते हैं दाने
जाएंगे तो फिर लौटकर नहीं आएंगे
जाते- जाते, कहते जाते हैं दाने
अगर लौट कर आए भी
तो तुम हमें पहचान नहीं पाओगे
अपनी अन्तिम चिट्ठी में
लिख भेजते हैं दाने
इसके बाद महीनों तक
बस्ती में
कोई चिट्ठी नहीं आती.

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