भारतीय राजनीति के लिए 1970 का दशक उतार-चढ़ाव भरा रहा. इसी दौर में बांग्लादेश बना, इमरजेंसी लगी और फिर कांग्रेस विरोधी राजनीति की नींव तैयार हुई. इस दशक की सियासत पर लिखी गई राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब है 'द ड्रमैटिक डेकेड: द इंदिरा गांधी ईयर्स'. रूपा पब्लिकेशन की इस किताब को पब्लिशिंग नेक्सट इंडस्ट्री अवॉर्ड्स 2015 की 'डिजिटल बुक ऑफ द ईयर' सम्मान के लिए चुना गया है.
यही वह दशक था जब प्रणब मुखर्जी ने पॉलिटिकल एक्टिविस्ट के बतौर काम शुरू किया. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के संघर्ष को भारत ने समर्थन दिया. युद्ध के बाद अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो गई और 1973 में महंगाई ने देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया. फिर आया 1975 में आपातकाल का ऐतिहासिक दौर. फिर इंदिरा विरोधी मोर्चे का गठन और 1977 में जनता पार्टी की जीत. प्रणब मुखर्जी ने भारतीय सियासत में इस अहम दशक को करीब से देखा है और उसे इस किताब में बयान किया है.
इसी किताब की अगली कड़ी इस साल दिसंबर में छपेगी, जिसमें प्रणब मुखर्जी ने 1980 से 1986 के बीच की सियासत का ब्योरा दिया है.