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लोक कलाकारों की अनदेखी से भड़के पुरुषोत्तम अग्रवाल

हिंदी के वरिष्ठ आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने रायपुर साहित्य महोत्सव में आदिवासियों और लोक कलाकारों को समुचित स्थान न दिए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की.

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साहित्य सम्मेलन में लोक कलाकार
साहित्य सम्मेलन में लोक कलाकार

हिंदी के वरिष्ठ आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने रायपुर साहित्य महोत्सव में आदिवासियों और लोक कलाकारों को समुचित स्थान न दिए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह संस्कृति और लोक कला को समर्पित उत्सव में लोक कलाकारों को ही समुचित सम्मान नहीं मिल रहा है.

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साहित्य उत्सव में अपनी प्रस्तुति देने आए कुछ लोक कलाकार एक प्रांगण के एक कोने में अलग-थलग जमीन पर बैठे हुए थे. उनके लिए अलग से कोई पंडाल या कोई व्यवस्था नहीं थी. लोगों की भीड़ चारों ओर से उन्हें घेरकर उनकी तस्वीरें खींच रही थी.

पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा, 'हम उनके साथ एलि‍यन जैसा व्य‍वहार कर रहे हैं. मानो वो कोई अजायबघर की चीज हों. जब उनकी संस्कृति बचाने का दावा कर रहे हैं, उनके बारे में हम बात कर रहे हैं और वे खुद इस संवाद से नदारद हैं. और यह देखना बहुत दुखद है कि उन्हीं आदिवासियों, लोक कलाकारों को केंद्र में रखकर किए जा रहे महोत्सव में उन्हें वह सम्मान और जगह नहीं मिल रही है. लोक संस्कृति की रक्षा लोक कलाकारों का अपमान करके नहीं की जा सकती.'

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