केंद्रीय साहित्य अकादमी ने अकादमी पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही कालजयी और मध्यकालीन साहित्य तथा गैर मान्याताप्राप्त भाषाओं में योगदान के लिए भी ‘भाषा सम्मान’ प्रदान करने की घोषणा भी कर दी है. भाषा सम्मान के अंतर्गत पुरस्कार विजेता को 100000- रुपए नकद, एक उत्कीर्ण ताम्र फलक तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है.
साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने इन नामों की घोषणा की है. इस बार भाषा सम्मान से पुरस्कृत होने वाले साहित्यकारों, रचनाकारों, भाषाविदों में डा. योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण', जी. वेंकटसुबैय्या, डा. गगनेंद्र नाथ दाश, डा. शैलजा बापट, डा. हलधर नाग, डा. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, एच. नेङसाङ, हरिकृष्ण द्विवेदी व डा. शमीम शर्मा के नाम शामिल हैं. यह सम्मान आने वाले दिनों में एक विशेष समारोह में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष द्वारा प्रदान किया जाएगा. साहित्य आजतक के पाठ्कों के लिए हम साहित्य अकादमी द्वारा जारी भाषा सम्मान विजेताओं का संक्षिप्त जीवन-परिचय तथा निर्णायक समिति के जिन सदस्यों की अनुशंसा पर इस सम्मान की घोषणा की गई है, उनका विवरण दे रहे हैं:
कालजयी एवं मध्यकालीन साहित्य
उत्तरी क्षेत्र- 2017
डा. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, जन्म: 7 जून 1941: डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ हिंदी के प्रख्यात कवि एवं लेखक हैं. आपके पास अध्यापन का 35 वर्षों का अनुभव है और आप उपाधि पोस्ट ग्रेजुएट कालेज, पीलीभीत (महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली) के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं. आपकी 24 से ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें चार बाल कविता-संग्रह भी शामिल हैं. जैन रामकथा पर आपका शोधग्रंथ स्वयंभू एवं तुलसी के नारी पात्र: तुलनात्मक अनुशीलन एक अनूठा ग्रंथ है.‘अरुण’ जी को कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं: पं. मदन मोहन मालवीय सम्मान, काव्य रत्न पुरस्कार, गीत रत्नाकर पुरस्कार, साहित्यश्री पुरस्कार और नाट्य रत्न पुरस्कार.
निर्णायक समिति: प्रो. गोपीचंद नारंग, डा. सुघीश पचौरी एवं प्रो. शारदा शर्मा
दक्षिणी क्षेत्र - 2017
जी. वेंकटसुबैय्या, जन्म: 23 अगस्त 1913, गंजम ग्राम, श्रीरंगपाटन, जिला: मांड्याः जी. वेंकटसुबैय्या कन्नड के प्रख्यात लेखक, व्याकरणाचार्य, संपादक, कोशकार एवं आलोचक हैं. आपने कन्नड में क्लिष्टपद कोश सहित 10 शब्दकोशों, कन्नड के 4 विज्ञान शब्दकोशों का प्रारंभिक कार्य, 60 से अधिक पुस्तकों का संपादन, 4 बाल साहित्य की पुस्तकों, 8 अनुवाद की पुस्तकों के साथ बड़ी संख्या में शोधालेख लिखे हैं. जी. वेंकटसुबैय्या को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हैं, जिनमें प्रमुख हैं: कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार, राज्योत्सव पुरस्कार, शिवराम कारंत पुरस्कार, प्रेस अकादमी का विशेष पुरस्कार, आर्यभट्ट पुरस्कार, के. एम. मुंशी पुरस्कार, रानी चेन्नमा विश्वविद्यालय द्वारा डाक्टरेट की मानद उपाधि, पंप पुरस्कार एवं भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अलंकरण 2017
निर्णायक समिति: डा. सी. राजेंद्रन, प्रो. राभा शास्त्री एवं बसवराज कालिगुडी
पूर्वी क्षेत्र - 2018
डा. गगनेंद्र नाथ दाश, जन्मः 25 नवंबर 1940, गगनेंद्र नाथ दाश ओड़िया के प्रख्यात विद्वान एवं लेखक हैं। 30 वर्ष के लंबे अध्यापकीय जीवन में विभिन्न पदों पर कार्य करने के बाद आप बरहमपुर विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए. आपने ‘ओड़िशा’ शीर्षक से प्रकाशित एक वर्गीकृत एवं विस्तृत संदर्भ ग्रंथ सूची की आधार सामग्री तैयार की है. मध्यकालीन ओड़िशा में जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों की भूमिका पर किए गए आपके कार्य को व्यापक प्रसिद्धि प्राप्त हुई. आपने ओड़िशा के भुवनेश्वर में शहरीकरण एवं सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन के नृवंशवैज्ञानिक अध्ययन के जुड़े हार्वर्ड-भुवनेश्वर प्रोजेक्ट एवं ओड़िशा रिसर्च प्रोजेक्ट 1 एवं 2 से लंबे समय तक जुड़े रहे हैं.
निर्णायक समिति: प्रो. सुनील कुमार दत्त, डा. प्रदीप्त कुमार पंडा एवं प्रो. ज्योत्स्ना चट्टोपाध्याय
पश्चिमी क्षेत्र
डा. शैलजा बापट मराठी की प्रतिष्ठित लेखिका हैं. ए क्रिटिकल स्टडी आफ़ ब्रह्मसूत्र शीर्षक से आपने तीन खंडों में विशालकाय ग्रंथ लिखा है. शुद्ध अद्वैत वेदांत आर केवल अद्वैत वेदांत पर संदर्भ ग्रंथसूची सहित आपकी अन्य कई पुस्तकें प्रकाशित हैं. आपको यू.जी.सी. द्वारा एमिरेटस फेलोशिप अलंकरण प्राप्त है तथा आपने बहुत से शोधालेख लिखे हैं. डा. बापट भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे की कार्यकारी परिषद् और संचालन परिषद् के लिए सरकार की नामित सदस्य रही हैं.
निर्णायक समिति: मोहन गेहाणी, प्रो. दिलीप धोंडे, भगवान दास पटेल
गै़र मान्याताप्राप्त भाषाएँ - 2017
कोशली-संबलपुरी (संयुक्त पुरस्कार)
डा. हलधर नाग, जन्म- 31 मार्च 1950, ग्राम घेंस, ज़िला: बरगढ़ः कोशली-संबलपुरी के लब्धप्रतिष्ठ लेखक हैं. वे कोशली रामकथा के अच्छे गायक भी हैं. आरंभ में आपने भजन, रसरकेलि, दलखै, सजनी गीतों की रचना की. डंडानाट पर उनके गीत 13 स्थानीय गाँवों में व्यापक तौर पर मंचित किए गए. आपको अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा पी-एच. डी. की मानद उपाधि प्रदान की गई है. आपकी रचनाओं का ओड़िया, हिंदी और अंग्रेज़ी में अनुवाद हुआ है. आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं: महासती उर्मिला, अछिया, तारा मंदोदरी, बच्छर, श्री सोमलय, वीर सुंदर साई, करमासनी, रसिया कवि (तुलसीदास की जीवनी) तथा प्रेम प्रधान. कोशली भाषा और साहित्य पर एक शोध संस्थान की स्थापना घेंस (बरगढ़ ज़िला) में की गई है, जिसका नामकरण हलधर नाग के नाम पर किया गया है. आपको भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अलंकरण भी प्रदान किया गया है.
डा. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, जन्म-1947: प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी कोशली-संबलपुरी भाषा में प्रतिष्ठित होने के साथ-साथ ओड़िया भाषा के सुपरिचित कवि, लेखक और भाषाविद् हैं. आपकी प्रमुख प्रकाशित कृतियों में संबलपुरी-ओड़िया शब्दकोश, संबलपुरी ओड़िया व्याकरण, वर्ण विधान और भाषा जिज्ञासा शामिल हैं. व्याकरण संबंधी आपके अध्ययन ने कोशली-संबलपुरी भाषा को समृद्ध किया है. कोशली व्याकरण के आलोचनात्मक विश्लेषण और सर्जनात्मकता के माध्यम से आपने अपनी मातृभाषा कोशली की आजीवन सेवा की है. आपको ओड़िया कथा-संग्रह निज सिंहासन के लिए ओड़िशा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त है.
निर्णायक समिति: डा. महेंद्र कुमार मिश्र, डा. शुभेंदु मुंड एवं डा. नरेंद्र मिश्र
पाइते - 2017
एच. नेङसाङ, जन्म- 2 जनवरी 1935: एच. नेङसाङ पाइते भाषा के प्रतिष्ठित लेखक हैं. आप भारतीय वन सेवा से उप वन संरक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए. पाइते में अपने लेखन के लिए आपका नाम सुपरिचित है. पाइते भाषा में आपकी ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित हैं. आपके लेखन ने पाइते भाषा एवं साहित्य के विकास में सहायता की है. आपने पाइते जाति के पमुख व्यक्तियों से संबंधित इतिहास के 5 खंड भी प्रकाशित कराए हैं.
निर्णायक समिति: प्रो. आर. एल. थन्नवाई, डा. एच. काम्खेन्थाङ एवं डा. तुआलचिन नैसियाल
हरियाणवी (संयुक्त पुरस्कार)- 2018
हरिकृष्ण द्विवेदी, जन्म- 14 अगस्त 1944, ग्राम: पाई, ज़िला: कैथल, हरियाणा: हरिकृष्ण द्विवेदी हरियाणवी के प्रतिष्ठित लेखक हैं. आप हरियाणा शिक्षा विभाग से हिंदी अध्यापक पद से सेवानिवृत्त हैं. आपकी 10 पुस्तकें प्रकाशित हैं. द्विवेदी को अनेक पुरस्कार-सम्मानों से विभूषित किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं: जनकवि मेहर सिंह सम्मान, हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कीर्ति सम्मान (दो बार) एवं बाबू राम गुप्ता स्मृति सम्मान.
डॉ. (श्रीमती) शमीम शर्मा, जन्म: 17 मार्च 1959: शमीम शर्मा हरियाणवी की सुपरिचित लेखिका हैं. आपको 33 वर्ष का अध्यापकीय अनुभव है, जिसमें 13 वर्ष प्रधानाचार्य के पद पर कार्य. आपने हरियाणा सरकार द्वारा प्रायोजित हरियाणा एनसाइक्लोपीडिया के 10 खंडों का संपादन किया है. आपकी अन्य प्रकाशित कृतियों में कुरुशंख, हस्ताक्षर (कहानी-संग्रह), अजन्मी बेटी की चिट्ठी, पंचनाद और जादू भरा साथ (कथा-संग्रह) और सात अन्य प्रकाशन चैपाल शीर्षक से हैं. डा. शर्मा को समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए मदर टेरेसा द्वारा स्वर्ण पदक तथा विशिष्ट साहित्य सेवी सम्मान प्राप्त हैं.
निर्णायक समिति: संतराम देशवाल, पूरन चंद शर्मा एवं पूरन मल गौड़