'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' में आज 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी के पुस्तकों की बारी है. वर्ष 2024 की 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी की 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की जीवनी, गुलज़ार पर यतीन्द्र मिश्र, तलत महमूद और मेघा परमार के अलावा और किनकी जीवनियां और संस्मरण शामिल हैं...
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शब्द की दुनिया समृद्ध हो, हर दिन साहित्य आपके पास पहुंचे और पुस्तक-संस्कृति बढ़े, इसके लिए इंडिया टुडे समूह ने डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' की शुरुआत की थी. साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित इस चैनल ने वर्ष 2021 में पुस्तक-चर्चा पर आधारित कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में लेखक और पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. इनमें 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन पुस्तक चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृतियों पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद शामिल है.
'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे प्रसारित हो रहे 'बुक कैफे' को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली है. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो हमने 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की सूचना भी- हर शनिवार और रविवार को- सुबह 10 बजे 'नई किताबें' कार्यक्रम में देनीं शुरू कर दी है.
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'.
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 से 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की तो उद्देश्य यह रहा कि उस वर्ष की विधा विशेष की दस सबसे पठनीय पुस्तकों के बारे में आप अवश्य जानें. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे सम्मानित लेखकों, साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों का खूब आदर प्राप्त है. हमें खुशी है कि वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल 5 श्रेणी- अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं.
वर्ष 2022 और 2023 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. इस वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों में 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची आपके सामने आ रही है.
'बुक कैफे' पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण के साथ ही हम पर आपके विश्वास और भरोसे का द्योतक है. बावजूद इसके हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक न पहुंची हों, यह भी हो सकता है कुछ श्रेणियों की बेहतरीन पुस्तकों की बहुलता के चलते या समयावधि के चलते चर्चा न हो सकी हो... फिर भी अध्ययन का क्षेत्र अवरुद्ध नहीं होना चाहिए. पढ़ते रहें, किताबें चुनते रहें, यह सूची आपकी पाठ्य रुचि को बढ़ावा दे, आपके पुस्तक संग्रह को समृद्ध करे, यही कामना.
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2024 की 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं-
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* गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं | यतीन्द्र मिश्र
- शायर, गीतकार, लेखक, फिल्मकार गुलज़ार के जीवन पर यतीन्द्र मिश्र ने वर्षों की मेहनत से यह किताब लिखी है. यह पुस्तक न केवल गुलज़ार के जीवन, जीवन-दर्शन और बोली-बानी की बात करती है बल्कि उनके लेखन और सिनेमा के सफ़र पर भी एक बारीक नज़र डालती है. गुलज़ार एक ख़ानाबदोश किरदार हैं, जो नज़्मों, अफ़सानों, गीतों के साथ, शायरी और पटकथाएं तो लिखते ही हैं फ़िल्में भी बनाते हैं. अपने लिखे गीतों के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गुलज़ार आजतक साहित्य जागृति लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, केंद्रीय साहित्य अकादेमी, भारतीय ज्ञानपीठ, ऑस्कर, ग्रैमी और दादा साहेब फाल्के से सम्मानित हैं. आप पद्मभूषण से भी अलंकृत हैं.
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'मैडम प्रेसिडेंट: द्रौपदी मुर्मु का जीवनवृत्त' | संदीप साहू
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अब तक की जीवन यात्रा उनकी सच्ची लगन, मेहनत और संयम का नतीजा है. यह पुस्तक मुर्मु के प्रेरणास्पद जीवन पर लिखा गया पहला विस्तृत व प्रामाणिक अध्ययन है. द्रौपदी मुर्मु को जीवन के शुरुआती दिनों में बेहतर शिक्षा हासिल करने के लिए तमाम तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा. बाद का जीवन भी कई त्रासदियों की मार्मिक गाथा है. व्यक्तिगत जीवन में दोनों बेटों और पति की असमय मौत के अलावा राजनीतिक जीवन में भी आपने कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे. फिर भी बेहद धैर्य के साथ आपने हर परिस्थिति का सामना किया. राजनीतिक निर्वाचन की पहली सीढ़ी, नगर निकाय में पार्षद बनने के बाद काम के प्रति समर्पण और कठोर मेहनत की बदौलत आप न केवल मंत्री, राज्यपाल बनीं बल्कि आदिवासी समुदाय से देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाली पहली राष्ट्रपति बनीं.
- प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
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* 'मैडम सर: बिहार की पहली आईपीएस अधिकारी की कहानी' | मंजरी जारुहार
- बिहार की पहली और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जारुहार की आत्मकथा एक ऐसी स्त्री के साहस, दृढ़ता और नेतृत्वकला की कहानी है, जिन्होंने सहकर्मियों के अविश्वास और उपहास को सहते हुए भी नए-नए रास्ते खोजे और सफलता पाई. बिहार के प्रतिष्ठित परिवार में पैदा होकर भी मंजरी की सफलता की राह में कई तरह की बाधाएं थीं. परिवार की प्रतिष्ठा ही उनके लिए रुकावट बनने लगी. उन दिनों परिवार को पढ़ाई के लिए बेटी को बाहर भेजना उचित नहीं लगता था. 19 की उम्र में विदेश सेवा के अधिकारी से ब्याह दी गईं तो वहां पति से तालमेल बिठाना असंभव हो गया. खुद की तैयारियों से न केवल उच्च शिक्षा हासिल की बल्कि आईपीएस में चयनित होकर एक मिसाल कायम की. एक ऐसी लड़की जिसे बताया गया हो कि करियर, महत्वाकांक्षा, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता लड़कियों के लिए नहीं है, क्योंकि उन्हें अच्छा पढ़ना, तैयार होना सिर्फ इसलिए चाहिए कि अच्छी शादी हो सके. अंग्रेजी में प्रकाशित Madam Sir: The Story of Bihar's First Lady IPS Officer' का हिंदी अनुवाद रंजना श्रीवास्तव ने किया है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'द एवरेस्ट गर्ल' | ब्रजेश राजपूत
- सीहोर जिले के भोजनगर गाँव की रहने वाली मेघा परमार ने तमाम विपरीत स्थितियों के बीच भी बहुत कम उम्र में ही वह उपलब्धि हासिल की, जो एक मिसाल है. मेघा की जिन्दगी से जुड़ी सच्ची कहानियों पर आधारित इस औपन्यासिक कृति में लेखक ब्रजेश राजपूत ने अपने शिल्प और सहज भाषा के बीच जो संवेद्ना उकेरी है, वह युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत है. मेघा मध्य प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोही रहीं, जिन्होंने 22 मई, 2019 को माउन्ट एवरेस्ट फ़तह किया था. वे प्रशिक्षित स्कूबा डाइवर और मोटिवेशनल स्पीकर हैं और मध्य प्रदेश सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की ब्रांड एम्बेसडर रह चुकी हैं. यह पुस्तक एक साधारण लड़की की असाधारण कहानी बतलाती है.
प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस
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* 'Talat Mahmood: The Definitive Biography' | सहर ज़मां
- एक वक्त था जब तलत महमूद की आवाज़ की दीवानी पूरी दुनिया थी. उन्होंने 1950 के दशक में देश के स्वतंत्र ग़ज़ल संगीत उद्योग की स्थापना में भी मदद की. उन्हें ग़ज़ल शहंशाह के रूप में जाना जाता था! विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय पार्श्व गायक के रूप में उन्होंने दुनिया भर की तूफानी संगीत यात्राएं कीं. 1956 में पूर्वी अफ्रीका में उनके पहले संगीत कार्यक्रम ने अन्य गायकों को भी विदेशों में शो करने के लिए प्रेरित किया. तलत ने न्यूयॉर्क के खचाखच भरे हॉल और लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल सहित दुनिया भर के कई अन्य लोकप्रिय स्थानों पर प्रदर्शन किया. उन्हें अमेरिकी दर्शकों के सामने भारत के फ्रैंक सिनात्रा के रूप में पेश किया गया. अपनी मखमली आवाज और सौम्य हाव-भाव के बावजूद उन्होंने कड़ा रुख अपनाया और पार्श्व गायकों के लिए रॉयल्टी भुगतान अभियान की शुरुआत की. वे पार्श्व गायक संघ के पहले अध्यक्ष बने. ग़ज़लों और गीतों के इस महान फनकार से समाजसेवा के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी. यह पुस्तक उनकी ज़िंदगी के कई पहलुओं पर विशिष्ट दृष्टि डालती है.
-प्रकाशक: Notion Press
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*आहटें सुन रहा हूँ यादों की | काशीनाथ सिंह
- 'काशी का अस्सी' के रचयिता साहित्यकार काशीनाथ सिंह की स्मृति-कथाओं की वैसे तो यह तीसरी कड़ी है पर इससे उनकी जीवन यात्रा और यादों का पिटारा अधूरा नहीं रहता. पुस्तक में सिंह के छोटे-बड़े 18 संस्मरण शामिल हैं, जिनमें उनका गांव, उसकी माटी, जीवन का संघर्ष, विश्वविद्यालय की राजनीति, नामवर सिंह का भाई होने के सुख-दुःख, लेखकीय संसार और पूरे ठाठ से अस्सी मौजूद है. ये संस्मरण उन्होंने अलग-अलग समय पर लिखे थे, पर संग्रह के रूप में पहली बार आए हैं. दो खंडों में बंटी इस पुस्तक के पहले खंड के संस्मरण जहां सिंह के निजी जीवन के इर्द-गिर्द घूमते हैं, वहीं दूसरे खंड में उन्होंने अपने निकट जनों से जुड़ी घटनाओं और यादों को सहेजा है. हमारे समय के एक बड़े साहित्यकार के इन संस्मरणों से गुजरते हुए यह आभास होता है कि स्मृतियों की भी अपनी एक दुनिया होती है, जिनसे समूचा कालखंड झांकता है.
- प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'अण्णा भाऊ साठे: दलित और स्त्री-जगत् के श्रेष्ठ क़लमवीर' | विश्वास पाटील
- अण्णा भाऊ साठे मराठी में दलित साहित्य की ज़मीन रचने और उसे एक ऊंचाई देने वाले क़लमकार रहे हैं. सदियों से प्रताड़ित दलितों के पास उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी में साठे जैसे ताक़तवर लेखक के होने का ही परिणाम था कि दलित समाज गैरबराबरी पर आधारित, जन्मगत श्रेष्ठता वाली सनातन प्राचीन व्यवस्था के ख़िलाफ़ धैर्य के साथ खड़ा हो पाये, उनसे जूझ पाये, लड़ पाये, विद्रोह किया और अपने हक़ की लड़ाई में जीत हासिल की. अण्णा भाऊ ने स्त्री-अस्मिता, मेहनतकश मज़दूर, सम्पूर्ण दलित समाज और वंचितों के लिए अपने साहित्य और विचारों से जो मशाल जलायी, उसने समूचे एक युग को प्रभावित किया. इसीलिए वे केवल मराठी या भारतीय साहित्य के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के बड़े लेखकों में से एक हैं. साहित्य अकादेमी से सम्मानित विश्वास पाटील ने महान मराठी लेखक की यह जीवनी मराठी में 'अण्णा भाऊंची दर्दभरी दास्तान' नाम से लिखी, जिसका हिंदी अनुवाद सुरेश माहेश्वरी ने किया है.
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'यादों का आइना' | बद्रीप्रसाद सिंह
- एक पुलिस अधिकारी का जीवन सहज नहीं होता. पूरी जिंदगी उसकी मुलाकात समाज के हर तबके से होती है. इसमें भी राजनीतिबाज और नौकरशाह समूची जिंदगी उसके साथ चलते हैं. लंबे समय तक पुलिस अधिकारी रहे बद्रीप्रसाद सिंह ने अपने पुलिसिया जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को इस पुस्तक में लिपिबद्ध किया है. उनकी स्मृतियों के इस ब्योरे में पुलिस-विभाग की कार्यशैली, अच्छे-बुरे पुलिस अधिकारियों के कार्य-व्यवहार तथा समाज के ज्वलंत मुद्दों के साथ ऐसे कई पुलिस अधिकारियों का भी जिक्र है जो ईमानदार, स्पष्टवक्ता व स्वाभिमानी रहे हैं, तो ऐसे राजनेता भी शामिल हैं जिनकी छवि दबंग और उग्र नेताओं की मानी जाती रही है, पर समाजसेवा, और निजी जीवन में वे बेहद उदार और सरस थे.
- प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
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*'सनातन के प्रहरी पं. राधेश्याम कथावाचक' | हरिशंकर शर्मा
- पं. राधेश्याम जीवनभर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे रहे. इसके लिए उन्होंने भारत के बहुत से हिस्सों की यात्राएं कीं. उनका सनातन नवजागरण काल की चेतना और आर्यसमाजी सुधारवादी नजरिये का हिमायती रहा. अपनी रचनाओं 'राधे श्याम रामायण', 'कृष्णायन महाकाव्य', 'मेरा नाटक काल' से जहां उन्होंने भारतीय समाज को जोड़ने का काम किया, वहीं कथावाचक के रूप में स्त्री शिक्षा, राष्ट्रप्रेम, पश्चिमी सभ्यता का विरोध, राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार-प्रसार, धर्म के प्रति वैज्ञानिक सोच और समाज सुधार पर बल दिया तथा पाखंड, जादू-टोना, साम्प्रदायिकता के खिलाफ प्रचार किया. सात मुख्य अध्यायों में बंटी यह पुस्तक उस पं. राधेश्याम कथावाचक को समझने का अवसर देती है, जिन्होंने कहा था- ईश्वर का संदेश यह नहीं कि युवक भगवा पहनकर भीख मांगे. ईश्वरीय संदेश तो कर्म करने का है. राम-कृष्ण ने प्रतिज्ञा लेकर कर्म किए हैं, भगवा पहनकर भीख नहीं मांगी. मक्कार, धूर्त संन्यासियों व व्यासों ने धर्म के नाम पर भावुक जनता को ठग- ठग कर रंग ही बदल दिया. इससे सनातन कमजोर हुआ.'
-प्रकाशक: दीपक पब्लिशर्स
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* 'अतीत का सैरबीन' | यतीश कुमार
- एक बच्चा चालीस साल की दूरी से दुनिया को देखता है, उसकी हथेलियों में कसैला पानीफल है, तो एक आक्रान्त, अपने आप में डूबा, अकेला बचपन और आशंकाओं से घिरा अनिर्णीत भविष्य भी. इस हताश और गहराते हुए अन्धकार से मुक्ति का विश्वास दिलाता एक जगमग रौशन क्षितिज है, जो जीवन के अनगिन धुंधले सूर्यास्तों, फिर उजालों और उम्मीदों से भरे पुनर्जीवन की मिसाल और प्रतिमान बनाता है. चर्चित रचनाकार, कवि और अधिकारी यतीश कुमार के उत्कट जीवन-संग्राम की यह मार्मिक और रोमांचक आत्मकथा समकालीन रचनात्मक परिदृश्य में अपने शिल्प के चलते भी खास मुकाम रखती है. कवि उदयप्रकाश लिखते हैं कि- यतीश अपने बचपन और अतीत में जाने के लिए जिस 'युक्ति' का आविष्कार करते हैं, उसे वे 'अतीत का सैरबीन' का नाम देते हैं. देश के सुदूर दक्षिण-पूर्व में एक छोटी-सी नदी किऊल के तट पर बसे एक गंवई क़स्बे में जीवन के बीस वर्षों की का यह मार्मिक, सम्मोहक, विकट, साहसिक और ईमानदार सार्वजनिक रोजनामचा स्मृतियों के पुनर्लेखन की श्रमसाध्य और कलात्मक कोशिश है.
- प्रकाशक: राधाकृष्ण प्रकाशन
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वर्ष 2024 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!
हम स्पष्ट कर दें, यह क्रमानुसार रैंकिंग नहीं है. टॉप 10 सूची में स्थान बनाने वाली सभी पुस्तकें आपकी 'हर हाल में पठनीय' पुस्तकों में शामिल होनी चाहिए. वर्ष 2024 में कुल 12 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों की यह शृंखला 31 दिसंबर तक जारी रहेगी.