लगभग 10 अंग्रेजी नॉवेल लिख चुके लेखक सत्यपाल चंद्रा की एक किताब को लेकर कुछ लोगों ने उनके घर पर हमला कर दिया. साथ ही लेखक चंद्रा को जान से मारने की धमकी भी दी है. इस संबंध में लेखक के पिता ने गया जिले के इमामगंज में शिकायत दर्ज की है.
शिकायत में उनके पिता ने बताया कि कुछ अतिवादियों ने सत्यपाल चंद्रा की किताब ‘व्हेन हेवन फॉल्स डाउन’ (जब जन्नत गिरती है) के खिलाफ लेखक चंद्रा और उनके परिवार को जगह-जगह धमकी भरे पोस्टर चिपका कर जान से मारने की धमकी दी है. किताब में चार मौलवियों द्वारा एक लड़की के क्रूर बलात्कार का प्रसंग है.
इसी को लेकर विरोध किया जा रहा है. लेखक ने यह प्रसंग सत्य घटना पर आधारित बताया है. पोस्टरों में चंद्रा की किताब ‘व्हेन हेवन फॉल्स डाउन’ को गैर-इस्लामिक करार देते हुए चंद्रा को गिरफ्तार करने और किताब पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की गई है. थाना प्रभारी ने शुरुआती आनाकानी के बाद एफआईआर दर्ज कर ली है. वहीं गया एसएसपी मनु महाराज ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है.
'मैं सब धर्मों का सम्मान करता हूं'
चंद्रा का कहना है, ‘दंगों, लव-जिहाद, वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी और चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लिखी गई किताब ‘व्हेन हेवन फॉल्स डाउन’ के ज्यादातर अंश सत्य घटनाओं पर आधारित हैं.’किताब में प्रेम कहानी भी है. किताब के अंत में चंद्रा ने लिखा है, ‘मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं और मेरी मंशा दंगों का सटीक चित्र खींचने की है. अगर किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं अग्रिम माफी मांगता हूं.’
बिहार के नक्सल-प्रभावित गांव से आने वाले 27 वर्षीय लेखक सत्यपाल चंद्रा की यह 10वीं किताब है. उनकी किताब को साहित्यिक हलकों में काफी सराहा गया है. धमकी देने वालों ने पोस्टरों में ‘तुम कब तक घर में छुपकर रहोगे’, ‘मौलवियों का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान’ जैसे नारे और कथित तौर पर ‘इस्लाम के विरुद्ध लिखने’ का खामियाजा भुगतने की चेतवानी दी है. साथ ही लेखक के सिर पर 2 लाख रुपए इनाम की घोषणा भी की है.
इससे पहले भी इस किताब को लेकर गया जिले में कुछ अतिवादियों ने विरोध-प्रदर्शन किया था और चंद्रा को गिरफ्तार कर किताब पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है. युवा लेखक चंद्रा स्थानीय प्रशासन की ओर से सम्मानित किए जा चुके हैं. सुरक्षा कारणों से फिलहाल लेखक दिल्ली में हैं. उनका परिवार गांव में भय के साये में रहने के लिए मजबूर है. घटना को लेकर लेखकों और साहित्यिक हलकों में असुरक्षा और गुस्सा फैल गया है.