सोमवार को दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम पहुंचना शानदार अनुभव रहा. अमूमन इस रास्ते में बहुत ट्रैफिक होता है. मगर इस दफा ऐसा नहीं था. लेकिन ऑडिटोरियम के बाहर पहुंचते ही मंजर बदल गया. वहां जमा भीड़ एक नई कहानी के शुरुआती हर्फ गढ़ती नजर आ रही थी. कहानी एक महान शानदार और दुनिया भर में मशहूर किस्सागो की आमद की. उसके कहन की. जिसका नाम है डैन ब्राउन.
यह एक मिश्रित जुटाव था. टीनएजर्स, उनके मां-बाप, कॉलेज छात्रों के समूह और अलग-अलग उम्र के साहित्यधर्मी लोग यहां पहुंचे थे. उनके हाथों में एंट्री पास था और वे कतार में लगे शाम के जवान होने का इंतजार कर रहे थे.
फिजा में जो घुली थीं, वे कथानक, किरदार और लेखन शैली की चर्चाएं थीं. सभी की सभी उस एक शख्स पर केंद्रित, जिसका नाम डैन ब्राउन होता है. 'द विंची कोड' और 'एंजेल्स एंड डेमन्स' जैसे उपन्यासों का यह शानदार लेखक भारत में था. जलसा था पेंगुइन रैंडम हाउस का सालाना लेक्चर. सोमवार का दिन दिल्ली वालों के नाम था और सीरी फोर्ट में जुटे वे लोग उस शख्स को सुनने के लिए बेताब थे.
जो थोड़ी-बहुत उदासी कहीं थी तो वह एंट्री पास न मिलने और इवेंट में शामिल न हो पाने की थी. अंदर जो लोग थे, उनके स्नेह और सम्मान की मात्रा का सही अनुभव आप उस लीजेंड्री शख्स के मंच पर आने से पहले नहीं कर सकते थे.
Sorry @PenguinIndia and Dan Brown. Took 1 look at humongous line waiting to get in & turned back. Disappointed. #DanBrownVisitsIndia
— Christine Pemberton (@christinedelhi) November 10, 2014
{mospagebreak}ऑडिटोरियम में दाखिल हुई उत्साहित भीड़ को ब्राउन की तस्वीरों के एक मोंटाज ने शांत किया. अपनी किताबों पर बनी फिल्मों के डायरेक्टर, कास्ट और क्रू के साथ उनकी तस्वीरें, जिन्हें देखकर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि वह उस 'ब्रांड' के साथ कितने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं, जिसे उन्होंने पैदा किया. इसी ब्रांड की बदौलत उन्हें वह शानदार स्वागत मिला. लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाईं. विषय था, 'कोड्स, साइंस एंड रिलीजन'. जाहिर है, यह उस शख्स के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था, जिसने कला और धार्मिक इतिहास के पाठन को भी दिलचस्प बना दिया. वह शख्स जिसने हम सबके भीतर एक रॉबर्ट लैंगडन को जिंदा कर दिया.
A rare occasion when people wait for writer with bated breath MT @PenguinIndia: It's a packed house! #DanBrownLecture pic.twitter.com/mqQ5cuiDXD
— Manu Kaushik (@manukaushik) November 10, 2014
ब्राउन ने अपने बचपन के किस्से सुनाकर पाठकों को मालामाल कर दिया. उन्होंने बताया कि कैसे चर्च में ऑर्गन (वाद्य यंत्र) बजाने वाली उनकी मां और और गणित के शिक्षक पिता, दिन-ब-दिन उनके लिए दिलचस्प होते जाते थे. बातों का पेंडुलम धर्म और विज्ञान के बीच डुलाते हुए ब्राउन ने बताया कि सवाल पूछना उन्होंने बहुत पहले ही सीख लिया था. और फिर उन्होंने यह किस्सा सुनाया, 'एक बार मैं पुजारी के पास गया और पूछा कि विज्ञान और बाइबल हमें अलग-अलग चीजें बताते हैं, तो फिर सही क्या है? पुजारी ने कहा, 'अच्छे बच्चे इस तरह के सवाल नहीं पूछते.'{mospagebreak}उनकी किताबों के कलेवर से परिचित पाठक उनके इस जीवनानुभव से आनंदित हो गए. ब्राउन ने कहा कि सबसे उत्साह वाला समय वह होता है, जहां धर्म और विज्ञान के बीच की रेखाएं धुंधली होने लगती हैं. वह लोगों से जिंदगी की घटनाओं की खूब छानबीन करने के लिए प्रेरित करते हैं. वह कहते हैं, 'जब मैं अपने आस-पास की दुनिया को देखता हूं, मेरे लिए यह मानना मुश्किल होता है कि यह यूं ही संयोग से हुआ होगा. '
वस्तुओं-घटनाओं के अस्तित्व की पड़ताल के लिए उन्होंने विज्ञान और धर्म को एक साथ एक्सप्लोर करने की बात कही. अपने 30 मिनट के वक्तव्य में उन्होंने ऑडिटोरियम में मौजूद लोगों को सम्मोहन में बांधे रखा. इसके बाद उन्होंने लोगों के सवालों का जवाब दिया और दर्शकों को सबसे ज्यादा आनंद इसी में आया.
लैंगडन भारत कब आएंगे?
'धैर्य रखें.' अपने भारतीय फैन्स को आश्वस्त करते हुए डैन ब्राउन ने कहा, 'मुझे आपके धर्म और पौराणिक कथाओं के बारे में बहुत कुछ पढ़ना है. अभी मैं यहां (भारत में) स्टार्टर्स के लिए हूं.'
क्या आपने भारतीय महाकाव्य मसलन रामायण या महाभारत पढ़े हैं?
नहीं, अब तक तो नहीं. दरअसल ये दोनों ही बहुत ज्यादा बड़े हैं.
आपके नॉवेल के शुरुआती 5 पन्नों में एक हत्या हो ही जाती है?
मैं चाहता हूं कि मेरे पाठक मुझे कोसें कि मैंने उनका काम पर जाना और सोना हराम कर दिया है. मैं उन्हें पन्ना-दर-पन्ना ऐसा कुछ देना चाहता हूं जो उन्हें किताब बंद करने से रोकता रहे. और मेरी डिक्शनरी में जीवन की क्षति से ज्यादा चौंकाने वाला कुछ हो नहीं सकता.
बतौर लेखक अपनी यात्रा पर?
'लिखना एकांत का उद्यम है. अकेले रह कर किया जाने वाला काम.' वह मजाक में कहते हैं, ' लेखक होने के बाद सबसे बुरा पेशा है, लेखकों का (जीवन) साथी होना.'
धर्म बनाम उदारवाद पर?
'अपना जीवन कैसे जिया जाए, इसके संदर्भ बिंदु की तरह शास्त्रों को पढ़ें, तथ्यों की तरह नहीं. यह संभव है कि आप धार्मिक होने के साथ उदार भी बने रहें.'
ब्राउन की इन तीन बातों की मैं हो गई मुरीद
1. अच्छे बनें
लेखक सलमान रश्दी ने ब्राउन की किताब 'द विंची कोड' के बारे में एक बार कहा था, 'यह इतनी बुरी किताब है कि यह बुरी किताबों को भी अच्छा बताती है.' कार्यक्रम के मॉडरेटर ने ब्राउन से जब इस बारे में पूछा तो यह बेस्टसेलिंग लेखक एक अदद मुस्कान के साथ बोला, 'वह एक अच्छे आदमी हैं.' बात आगे बढ़ाते उन्होंने कहा, 'एक किताब का जादू हर शख्स पर अलग-अलग हो सकता है. जिनका मिजाज आपकी तरह है, वे आपके प्रशंसक हो जाते हैं. जिनका नहीं है, वे आलोचक. पर आप अपना काम करते रहते हैं.'
2. आंखों पर पट्टी पहनो, हमेशा
'एक क्रिएटिव शख्स के तौर पर, अपने गाइड आप स्वयं होते हैं. अपनी आंखों पर पट्टी पहनें. परिवार और प्रियजनों की न सुनें. उनके शब्द आपको आलसी बना सकते हैं. सिर्फ आलोचकों को भी न सुनें, वे आपको असुरक्षित बना देंगे. सामने की ओर देखें और खुद के पथ-प्रदर्शक बनें.'
3. अपने चयन में यकीन रखें
अपने डर की वजह से धर्म और विज्ञान के अनुयायी न बनें और डर की वजह से उन पर सवाल न करें.
चलते-चलते, उनकी जिंदगी के छिटपुट पहलू
द जिराफ, द पिग एंड द पैंट्स ऑन फायर: ब्राउन की पहली किताब. पांच साल की उम्र में, हैंडमेड स्क्रैपबुक, अपनी मां की मदद से बनाई.
कीरिया (ईश्वर) एंड मैट्रिक: ब्राउन की मां और पिता की कारों के नंबर प्लेट (क्रमश:), मां जो चर्च में कर्मचारी थीं और पिता गणितज्ञ थे.
हार्डी बॉयज सीरीज: वह किताब श्रंखला जिसने डैन को लेखक बनने के लिए प्रेरित किया.
100 पन्नेः द विंची कोड का आउटलाइन इतने पन्नों में पसरा था.
एक साल: इतना वक्त लगता है अमूमन डैन को किसी नए नॉवेल के लिखने से पहले संबंधित रिसर्च के लिए.