जो दिख रहा होता है, क्या वही सत्य होता है? सत्य क्या वाकई इतना सीधा होता है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि सत्य के आगे भी कुछ होता हो.. कुछ ऐसा जो देखा नहीं जा सकता.. कुछ ऐसा जो जाना नहीं जा सकता.. सिर्फ जिया जा सकता है. सत्य के आगे की ऐसी ही कहानी आप देख सकते हैं विवेक आसरी के लिखे और निर्देशित किए गए हिंदी नाटक तथ्य, सत्य, ऋतम में.
इस नाटक का मंचन द एटिक, कनॉट प्लेस में शुक्रवार (13 फरवरी) शाम 6 बजे और एसएसएस ऑडिटोरियम, जेएनयू में संडे (15 फरवरी) शाम 6 बजे होगा. नाटक में एंट्री फ्री है.