मूल कन्नड़ भाषा में लिखी गई लेखक लक्ष्मण की आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद आ गया है और इस बहाने जातीय विभेद के सदियों पुराने और अबतक जीवित उत्पीड़न का मार्मिक वर्णन हमारे सामने है. नियोगी बुक्स की इस पेशकश को देखने के बाद हम समझ पाते हैं कि अलग-अलग होते हुए भी जाति आधारित शोषण के बिंब कितने एक जैसे हैं. देखिए वीडियो.