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मनोज तिवारी ने जब साहित्य आजतक में सुनाया- कबिरा जब हम पैदा हुए ये जग हंसे हम रोए

मनोज तिवारी ने जब साहित्य आजतक में सुनाया- कबिरा जब हम पैदा हुए ये जग हंसे हम रोए

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे, हम रोये. ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे, जग रोये. चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रे झीनी... ये दो दिन तुमको दीन्हि चदरिया झीनी रे झीनी...कबीर का यह भजन आपने अनेकों बार सुना होगा. पर साहित्य आजतक के मंच पर इसे जब गायक मनोज तिवारी ने गाया तो...

Kabira jab hum paida huye jag hanse hum royen...When Bhojpuri singer Manoj Tiwari sang Kabir Dohavali at Sahitya Aajtak

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