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किताबों की बातें: उन दिनों के रूस का असली चेहरा बताती है ये किताब

किताबों की बातें: उन दिनों के रूस का असली चेहरा बताती है ये किताब

दो फ्रांसिसी पत्रकारों ने 1950 के दशक में रूस की यादगार यात्रा की. उस समय जब रूसी सड़कें प्रतिबंधित थीं. अपने इस खास अनुभव को डोमिनीक लापिएर ने एक यात्रा वृतांत की शक्ल दी, जिसे उन्होंने 'वन्स अपॉन अ टाइम इन सोवियत यूनियन' नाम दिया. इसका हिन्दी अनुवाद है,'एक रोमांचक सोवियत रूस यात्रा'. पत्रकार डोमिनीक और जीन पियरे ने अपनी यात्रा के दौरान जो कुछ रूस में देखा, उसे हू-ब-हू इस किताब में लिखने की कोशिश की है. ये किताब पाठक को भी शब्दों के जरिए रूस की यात्रा कराती है. 

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