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शहादत के 13 साल! आज ही के दिन MP के खनन माफिया ने ली थी IPS नरेंद्र की जान, दिल्ली CM की सेक्रेटरी हैं पत्नी

IPS Narendra Kumar Murder Case: आईपीएस नरेंद्र छलांग लगाकर ट्रैक्टर पर चढ़ गए. एक हाथ से स्टीयरिंग पकड़ ली और दूसरे हाथ से ड्राइवर को रोकने की कोशिश की. लेकिन मनोज गुर्जर ने युवा आईपीएस को धक्का देकर नीचे गिरा दिया. नीचे गिरने से पत्थर से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली के पहिए नरेंद्र के ऊपर से गुजर गए.

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पत्थरों से भरी ट्रॉली चढ़ाकर ली थी IPS अफसर की जान. (फाइल फोटो)
पत्थरों से भरी ट्रॉली चढ़ाकर ली थी IPS अफसर की जान. (फाइल फोटो)

आज से ठीक 13 साल पहले 8 मार्च 2012 को मध्य प्रदेश के चंबल रेंज में घटी एक घटना ने सिर्फ प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. अवैध खनन के लिए कुख्यात इलाके में साल 2009 बैच के IPS अफसर नरेंद्र कुमार को बेरहमी से कुचलकर मार डाला गया था. इस दिल दहलाने वाली घटना में माफिया ने जानबूझकर पत्थरों से भरी एक ट्रॉली नरेंद्र पर चढ़ा दी, जिसके चलते उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस हत्याकांड ने उस समय पूरे प्रदेश में सनसनी मचा दी थी और आज भी इस घटना की यादें लोगों के जेहन में ताजा हैं. तेज तर्रार युवा आईपीएस नरेंद्र कुमार आईएएस मधु रानी तेवतिया के पति थे. मधुरानी इन दिनों दिल्ली की नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सचिव हैं. 

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मथुरा के नौहझील के गांव लालपुर निवासी नरेंद्र कुमार 2009 बैच के युवा आईपीएस अधिकारी थे. उस समय वे मुरैना जिले के बानमोर इलाके में अनुमंडल पुलिस अधिकारी (SDO) के पद पर तैनात थे. नरेंद्र ने अवैध खनन और माफिया गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए कड़े कदम उठाए थे. उन्होंने कई बार ट्रैक्टर और ट्रॉलियों को जब्त किया और माफिया को सख्त चेतावनी दी थी. इस कार्रवाई से खनन माफिया बौखला उठा था. 

होली के दिन लौट के घर न जा सके नरेंद्र कुमार 

इसी बीच, 8 मार्च 2012 को होली को दिन था. एसडीओपी नरेंद्र कुमार अपने सरकारी बंगले पर रंग खेलने की तैयारी करवा रहे थे.  इस दौरान अचानक नरेंद्र इलाके में त्यौहार के मौके पर सुरक्षा व्यवस्था देखने के लिए निकल पड़े. तभी इस पुलिस अधिकारी ने देखा कि बानमोर इलाके में बलुआ पत्थरों का अवैध खनन कर एक ट्रैक्टर ले जाया जा रहा है. जब उन्होंने ट्रैक्टर को रुकवाने की कोशिश की. लेकिन ड्राइवर ने ट्रैक्टर की स्पीड तेज कर दी. नरेंद्र ने तुरंत अपने स्टाफ से कहा कि बैरिकेडिंग करे, लेकिन शातिर ट्रैक्टर चालक मनोज गुर्जर ने यूटर्न लेकर भागना चाहा.

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इसी दौरान आईपीएस नरेंद्र छलांग लगाकर ट्रैक्टर पर चढ़ गए और एक हाथ से स्टीयरिंग पकड़ ली और दूसरे हाथ से ड्राइवर को रोकने की कोशिश की. लेकिन मनोज गुर्जर ने युवा आईपीएस को धक्का देकर नीचे गिरा दिया. नीचे गिरने से पत्थर से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली के पहिए नरेंद्र के ऊपर से गुजर गए. इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने जैसे तैसे ट्रैक्टर चालक को पकड़ा और घायल आईपीएस को ग्वालियर शहर में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया.    

यह भी पढ़ें: नरेंद्र की जान को था खतराः मधुरानी तेवतिया

उस दौरान आईपीएस नरेंद्र की आईएएस पत्नी मधुरानी तेवतिया ग्वालियर में अपर कलेक्टर के पद पर तैनात थीं और मेटरनिटी लीव पर थीं. इस दुखद घटना ने मधुरानी को अंदर तक तोड़ दिया. 9 मार्च 2012 को लालपुर गांव में मधुरानी ने अपने पति की चिता को मुखाग्नि दी. पति की मौत के महज 11 दिन बाद उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया. इस घटना के बाद मधुरानी ने मध्य प्रदेश कैडर छोड़कर एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर में जाने का फैसला किया.

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सचिव IAS मधुरानी तेवतिया. (फाइल फोटो)

मधुरानी का प्रशासनिक करियर
मधुरानी तेवतिया ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं. वे दिल्ली में नेशनल हेल्थ अथॉरिटी में एडिशनल सीईओ के पद पर तैनात थीं. केंद्र सरकार के कई अहम पदों पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं. हाल ही में रेखा गुप्ता के दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद मधुरानी की ईमानदार छवि और प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री का सचिव नियुक्त किया गया है. मधुरानी का यह कदम न केवल उनकी मेहनत और लगन को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अपने पति की शहादत के बाद भी मजबूती से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं.

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माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था. मामले ने तूल पकड़ा तो प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई और न्यायिक जांच के आदेश दिए गए. मामला सीबीआई को भी सौंपा गया. कोर्ट ने आरोपी ट्रैक्टर चालक को 10 साल की सजा सुनाई. लेकिन नरेंद्र के पिता का आरोप था कि कई प्रभावशाली लोग अभी भी इस मामले में बचे हुए हैं. उनके ईमानदार बेटे को माफिया के खिलाफ अकेला छोड़ दिया गया, स्थानीय पुलिस ने कोई मदद नहीं की थी.  

नरेंद्र की बहादुरी की मिसाल
दिवंगत आईपीएस नरेंद्र कुमार की शहादत को याद करते हुए लोग उनकी बहादुरी को सलाम करते हैं. आईपीएस अधिकारी की शहादत आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा है. उन्होंने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा और माफिया के खिलाफ बिना डरे कार्रवाई की. उनकी यह बहादुरी न केवल पुलिस बल, बल्कि समाज के हर तबके के लिए एक मिसाल है.  

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