भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से 337 टन कचरे को पीथमपुर में एक अपशिष्ट निपटान इकाई में निपटाने की योजना पर आगे बढ़ने से पहले सरकारी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का इंतजार करेंगे.
इंदौर के संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में तय है और हम इस सुनवाई में अदालत द्वारा दिए जाने वाले निर्देश का इंतजार करेंगे. उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान की योजना के संबंध में प्रशासन का अगला कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर निर्भर करेगा.
आयुक्त का यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते मंगलवार को अधिकारियों से धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के लिए बरती गई सावधानियों के बारे में जानकारी देने को कहे जाने के बाद आया है.
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शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें निपटान स्थल से एक किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों के निवासियों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए जोखिम का मुद्दा उठाया गया था.
बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर की मध्यरात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हुई थी. कम से कम 5 हजार 479 लोग मारे गए और हजारों लोग अपंग हो गए. इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है.