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अमित शाह का अचानक भोपाल दौरा, MP में चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर लगा विराम!

अमित शाह के साथ भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव भी थे. ये दो केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश के लिए क्रमशः चुनाव प्रभारी और सह-चुनाव प्रभारी बनाया गया है. एक शीर्ष सूत्र के मुताबिक, शाह ने ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी के दो शीर्ष नेताओं का भी एक से अधिक बार नाम लिया और बताया कि कैसे उनके मतभेद जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकते हैं.

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अमित शाह का भोपाल दौरा- (फोटो Twitter/@BJP4MP)
अमित शाह का भोपाल दौरा- (फोटो Twitter/@BJP4MP)

गृह मंत्री अमित शाह के अचानक भोपाल दौरे से मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर विराम लग गया है. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मंगलवार देर शाम भोपाल की अनिर्धारित यात्रा और पार्टी मुख्यालय में पार्टी की कोर कमेटी के साथ उनकी बैठक ने नेतृत्व के मुद्दे को सुलझा लिया है.

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अमित शाह के साथ भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव भी थे. ये दो केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश के लिए क्रमशः चुनाव प्रभारी और सह-चुनाव प्रभारी बनाया गया है. शाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि चुनाव के लिए दोनों नेता आगे की रणनीति तय करेंगे. ऐसा माना जा रहा है कि शाह ने पार्टी के भीतर आंतरिक कलह पर चर्चा की और नेताओं को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि व्यक्तिगत मतभेदों का असर चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर न पड़े.

एक शीर्ष सूत्र के मुताबिक, शाह ने ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी के दो शीर्ष नेताओं का भी एक से अधिक बार नाम लिया और बताया कि कैसे उनके मतभेद जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकते हैं.

नेतृत्व के सवाल पर सरकार और पार्टी में शीर्ष पर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर भी विराम लग गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी का चेहरा होंगे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा अन्य शीर्ष नेता सामूहिक रूप से चुनाव के दौरान प्रचार करेंगे.

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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा, 'शिवराज सिंह चौहान की मध्य प्रदेश की राजनीतिक व्यवस्था में बहुत गहरी पैठ है. वह पुष्कर धामी जैसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें आसानी से हटाया जा सके. इसलिए भाजपा को यह चुनाव उनके साथ लड़ना होगा.'

रशीद किदवई ने कहा कि भाजपा ने अतीत में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को सामने रखने की कोशिश की है और हिमाचल में उनके नाम पर वोट मांगे हैं. इसलिए पार्टी सावधानी से काम करेगी और भाजपा के लिए सामूहिक नेतृत्व पेश करने का विकल्प सबसे अच्छा विकल्प है.

मालूम हो कि भाजपा ने एक विजय संकल्प अभियान शुरू करने का भी फैसला किया है, जहां शीर्ष नेता राज्य के विभिन्न हिस्सों में मतदाताओं तक पहुंचेंगे.

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