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Madhya Pradesh: भोजशाला विवाद का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, मुस्लिम पक्ष का आग्रह आज ही हो सुनवाई 

भोजशाला में ASI का साइंटिफिक सर्वे शुक्रवार से शुरू हो रहा है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने पिछले दिनों अपने आदेश में सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर अपनी मंजूरी दी थी. सर्वे की रिपोर्ट 29 अप्रैल से पहले दाखिल करने को कहा था. लिहाजा, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करेगा कि इस मामले की आज ही सुनवाई की जाए.

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मुस्लिम पक्ष ने भोजशाला के ASI से सर्वे कराए जाने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की लगाई गुहार.
मुस्लिम पक्ष ने भोजशाला के ASI से सर्वे कराए जाने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की लगाई गुहार.

इतिहास प्रसिद्ध राजा भोज की राजधानी मध्य प्रदेश की धार नगरी में स्थित वाग्देवी शारदा मंदिर भोजशाला पर विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की. याचिका में पूरे परिसर के भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण यानी एएसआई के विशेषज्ञों की टीम से वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वेक्षण कराने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है.

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याचिका पर शुक्रवार को ही सुनवाई करने का आग्रह मुस्लिम पक्ष करेगा क्योंकि शुक्रवार से ही भोजशाला में ASI का साइंटिफिक सर्वे शुरू हो रहा है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने पिछले दिनों अपने आदेश में सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर अपनी मंजूरी दी थी.

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हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने को कहा 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को आदेश दिया था कि भोजशाला का ASI सर्वे कर 29 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल की जाए. पीठ ने आदेश में कहा था कि परिसर में कार्बन डेटिंग विधि से एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जानी चाहिए. इससे जमीन के ऊपर और नीचे दोनों तरह की संरचना कितनी पुरानी है और उनकी उम्र कितनी है, इसका पता लगाया जा सके.

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मुगल आक्रांताओं ने तोड़ा था- हिंदू संगठनों का दावा

हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन् 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था. मगर, बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था. इसके बाद यह दावा किया जाने लगा कि धार में भोजशाला नहीं, बल्कि दरगाह है. 

1951 में भोजशाला राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुई थी   

अंग्रेजों के शासनकाल में भी भोजशाला को लेकर विवाद उठा था. तब साल 1902 में लाॅर्ड कर्जन धार और मांडू के दौरे पर आए थे. उन्होंने भोजशाला के रख-रखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी. तब सर्वे भी किया गया था. साल 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है.

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने सर्वे की लगाई थी याचिका

इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था. इस पर पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है. धार के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने एएसआई का यह पत्र मिलने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि भोजशाला परिसर में एएसआई के शुक्रवार अलसुबह से प्रस्तावित सर्वेक्षण के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं.

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