मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते चार दिन से चल रहा करणी सेना का आंदोलन खत्म हो गया है. एमपी के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया से चर्चा के बाद करणी सेना ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है. करणी सेना की सरकार से 17 मांगों पर सहमति बनी है.
एमपी के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया से चर्चा के बाद करणी सेना ने आंदोलन वापस ले लिया है. आंदोलनकारियों और सरकार के बीच 17 मांगों पर सहमति बनी है. डॉ. भदौरिया आंदोलनकारियों से बीते तीन दिन से संपर्क में था. कैबिनेट मंत्री ने एक एसीएस और दो पीएस की कमेटी बनाकर आश्वासन दिया है. ये कमेटी दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. राज्य सरकार से जुड़े मुद्दों पर फैसला होगा.
बता दें कि भोपाल में करणी सेना के लोग बीती 8 जनवरी से आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण समेत 21 मांगों को स्वीकार करने, बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया था. राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के भोपाल अध्यक्ष कृष्ण बुंदेला ने कहा कि उनके संगठन ने राजपूत समुदाय के अन्य लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि शिवसेना के एमपी प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर सहित पांच कार्यकर्ताओं ने अपनी 21 मांगों के लिए अनिश्चितकालीन, शांतिपूर्ण उपवास शुरू किया है.
क्या थीं करणी सेना की मांगें?
भोपाल करणी सेना अध्यक्ष ने कहा कि कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए ताकि सभी समुदाय के गरीबों को लाभ मिल सके. आरक्षण एक परिवार (एक पीढ़ी) को केवल एक बार दिया जाना चाहिए. एससी/एसटी अधिनियम के तहत जांच के बिना गिरफ्तारी को रोका जाना चाहिए और सामान्य वर्ग के हितों की रक्षा के लिए भी कानून बनना चाहिए.
आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक यह थी कि मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करने के लिए खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर से छूट दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. प्रशासन से बातचीत के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा का घेराव करने की योजना में बदलाव किया गया.
कई राज्यों से भोपाल पहुंचे लोग
आंदोलन में शामिल संगठनों ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से कई लाख लोग यहां पहुंचे. भोपाल में यह आंदोलन जंबूरी मैदान में चल रहा था. बता दें कि करणी सेना के लोग शनिवार से ही भोपाल पहुंचना शुरू हो गए थे. हालांकि इस सभा के शुरू होने से पहले ही करणी सेना परिवार में विवाद की स्थिति बन गई और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने जंबूरी मैदान में होने वाली सभा से खुद को अलग कर लिया था. करणी सेना परिवार का प्रदर्शन मुख्य रूप से जातिगत आरक्षण खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने, एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव को लेकर है.