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रामपथ और धर्मपथ पर लगाने के लिए इस शहर से आएंगे खास पौधे, अयोध्या से 800 Km दूर की नर्सरी को मिला ऑर्डर

Ayodhya News: भोपाल की निसर्ग नर्सरी को अयोध्या से 50 हज़ार पौधों का आर्डर मिला है जिसमें करीब 35 हज़ार बोगनवेलिया (Bougainvillea) के पौधे हैं, तो वहीं 15 हज़ार अन्य किस्म के पौधों का ऑर्डर इस नर्सरी को मिला है. 

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भोपाल की निसर्ग नर्सरी
भोपाल की निसर्ग नर्सरी

अयोध्या में जब 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा होगी और दुनिया भर से रामभक्त अयोध्या पहुंचेंगे और रामपथ-धर्मपथ से चलते हुए रामलला के दर्शनों का लाभ लेने जाएंगे तो सड़क के बीचो-बीच डिवाइडर पर भोपाल में उगे फूलों से उनका स्वागत होगा. दरअसल, अयोध्या के रामपथ और धर्मपथ पर फूल लगाकर उसे हरा-भरा रखने की ज़िम्मेदारी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक नर्सरी मालिक को मिली है.  

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भोपाल की निसर्ग नर्सरी को अयोध्या से 50 हज़ार पौधों का आर्डर मिला है जिसमें करीब 35 हज़ार बोगनवेलिया (Bougainvillea) के पौधे हैं, तो वहीं 15 हज़ार अन्य किस्म के पौधों का ऑर्डर इस नर्सरी को मिला है. 

नर्सरी के रामकुमार राठौर के मुताबिक, बोगनवेलिया के 5 अलग-अलग रंगों के 35 हज़ार पौधे अबतक अयोध्या भेजे जा चुके हैं. जहां रामपथ और धर्मपथ पर उन्हें लगाने का काम बड़े भाई रामप्रकाश राठौड़ देख रहे हैं.  

रामकुमार राठौड़ ने बताया, बोगनवेलिया के पौधे का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि इसे बहुत ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती और इसका पौधा तेज़ गर्मी को भी झेल लेता है. जितनी गर्मी पड़े, उतना ही इसका पौधा फलता-फूलता है, इसलिए इसका चयन किया गया है. 

नर्सरी मालिक के मुताबिक, अयोध्या से उनकी नर्सरी की वेबसाइट को देखकर संपर्क किया गया था और करीब 4-5 लोगों का एक दल 4 दिनों तक भोपाल में उनकी नर्सरी को देखने के लिए रुका और अयोध्या जाकर ओपन टेंडर खोले गए. इस टेंडर बिड में देश की करीब आधा दर्जन बड़ी फर्म्स ने भाग लिया. लेकिन इसकी ज़िम्मेदारी मिली भोपाल की निसर्ग नर्सरी को.  

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निसर्ग नर्सरी के रामकुमार राठौड़ ने बताया कि उनके भाई बड़ी बड़ी संस्थाओं में हॉर्टिकल्चर का ठेका लेते रहते हैं, जिसमे भोपाल की ज्यूडिशियल लॉ अकेडमी, भोपाल मेमोरियल अस्पताल, बीना रिफायनरी, इसरो और आयशर प्लांट शामिल हैं, जिनसे वो फूलों की रखरखाव का चार्ज भी लेते हैं. लेकिन श्री राम की नगरी में फूल लगाने के बाद उसकी मेंटेनेंस राशि के रूप में वो एक रुपया नहीं ले रहे. क्योंकि इस काम को प्रभु राम की सेवा के तौर पर देख रहे हैं. 

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