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कोई स्पीकर बना, किसी को मिला मंत्री पद... दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजे गए नेताओं का क्या हुआ?

बीजेपी ने हालिया चुनाव में दिल्ली से आठ नेताओं को मध्य प्रदेश भेजा था. आठ में से छह नेता चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे तो वहीं दो को हार मिली थी. यहां जानिए विधानसभा चुनाव में विजयी रहे दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजे गए नेताओं का क्या हुआ?

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नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद सिंह पटेल (फाइल फोटो)
नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद सिंह पटेल (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को सियासी रणभूमि में उतार दिया था. कैलाश विजयवर्गीय तो जीते ही, चुनावी रणभूमि में उतरे सात में से पांच सांसद भी चुनावी बाजी जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे जबकि दो सांसद चुनाव हार गए थे. चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायकों के सियासी फ्यूचर को लेकर कयासों का दौर तेज हो गया था. विधायकी का चुनाव जीते नेता संसद की सदस्यता छोड़ेंगे या विधानसभा की? अगर संसद की सदस्यता छोड़ विधानसभा में बने रहते हैं तो नई सरकार में इनकी भूमिका क्या होगी?

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नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल के नाम तो सीएम के लिए भी रेस में शामिल माने जा रहे थे. अब जबकि नए सीएम के साथ ही नई सरकार के मंत्रियों को लेकर भी तस्वीर साफ हो चुकी है, आइए नजर डालते हैं दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजे गए नेताओं पर. दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजे गए नेताओं का क्या हुआ?

कोई बना स्पीकर, किसी को मिला मंत्री पद

जिन आठ नेताओं को दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजा गया था, उनमें तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों के नाम थे. राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी बीजेपी ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था. सात में से पांच सांसद चुनावी बाजी जीतकर विधानसभा पहुंचे तो वहीं दो को मात खानी पड़ी. चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले छह नेताओं में से कोई स्पीकर बना तो किसी को मोहन यादव की कैबिनेट में मंत्री पद मिला. कुछ नेता खाली हाथ भी रह गए. आइए, नजर डालते हैं किसे क्या मिला.

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मध्य प्रदेश सरकार में सीएम और दो डिप्टी सीएम समेत कुल 31 मंत्री
मध्य प्रदेश सरकार में सीएम और दो डिप्टी सीएम समेत कुल 31 मंत्री

नरेंद्र सिंह तोमरः मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत के बाद ग्वालियर चंबल संभाग के दिग्गज नरेंद्र सिंह तोमर का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चर्चा में था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं. तोमर मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर बनाए गए हैं.

प्रह्लाद सिंह पटेलः अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक, बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकारों में मंत्री रहे पांच बार के सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल भी सीएम की रेस में थे. नरसिंहपुर सीट से विधानसभा पहुंचे प्रह्लाद सिंह पटेल को मोहन यादव के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया है.

राकेश सिंहः मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे राकेश सिंह जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. बीजेपी ने राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. राकेश सिंह भी मोहन मंत्रिमंडल में जगह बनाने में सफल रहे हैं. 

राव उदय प्रताप सिंहः गाडरवारा सीट से विधानसभा पहुंचे होशंगाबाद सीट से सांसद उदय प्रताप सिंह भी मोहन कैबिनेट में मंत्री बनाए गए हैं.

कैलाश विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री मोहन यादव (फाइल फोटोः पीटीआई)
कैलाश विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री मोहन यादव (फाइल फोटोः पीटीआई)

कैलाश विजयवर्गीयः बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-एक विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थे. इंदौर-1 से विधायक निर्वाचित हुए कैलाश विजयवर्गीय भी मोहन मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए हैं. कैलाश विजयवर्गीय, मोहन यादव के पहले उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री रहे हैं. 

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खाली हाथ रह गईं रीति पाठक

पेशाब कांड से चर्चा में आई सीधी विधानसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर सीधी सांसद रीति पाठक को चुनाव मैदान में उतारा था. रीति पाठक कठिन मानी जा रही सीधी की लड़ाई जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहीं. टफ सीट से मिली जीत की वजह से रीति की मंत्री पद के लिए दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. रीति पाठक खाली हाथ रह गईं.

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दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजे गए आठ में से दो चेहरे केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए थे. बाकी जो छह नेता जीतकर विधानसभा में पहुंचे, उनमें से रीति पाठक को छोड़ दें तो बीजेपी ने सभी को स्पीकर से लेकर मंत्री पद तक, कहीं न कहीं एडजस्ट कर दिया.

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