मध्य प्रदेश के बैतूल में एक शादी की काफी चर्चा हो रही है. इस अनूठी शादी में दुल्हन ने अग्नि को नहीं बल्कि संविधान को साक्षी माना. संविधान की प्रस्तावना पढ़कर उसने शादी की. इसमें न तो पंडित था और न ही फेरे लिए गए.
गौरतलब है कि बैतूल में रविवार को पेशे से वकील दर्शन बुंदेले और टीचर राजश्री अहिरे ने शादी की. दूल्हा और दुल्हन ने स्टेज पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. स्टेज पर हाथ मे संविधान की किताब लेकर उसे साक्षी माना और एक-दूसरे को वरमाला पहनाई.
12 साल के अफेयर के बाद की शादी
दरअसल, दर्शन और राजश्री के बीच 12 साल से अफेयर चल रहा था. दोनों अलग-अलग जाति के हैं. दोनों ने समाज को संदेश देने के लिए निर्णय लिया कि ऐसी शादी की जाए, जिससे जाति का भेदभाव दूर हो.
संविधान ने हमें अपनी पसंद का अधिकार दिया है
दुल्हन राजश्री का कहना है कि संविधान ने हमें अपनी पसंद का अधिकार दिया है तो समाज की रूढ़िवादी प्रथा से हटकर वर वधु को अपनी पसंद का अधिकार होना चाहिए. यही कारण है कि हमने संविधान से मिले मौलिक अधिकारों का उपयोग कर अपनी पसंद की शादी की है.
संविधान की प्रस्तावना पढ़कर विवाह किया
अपने दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करने वाले दर्शन का कहना है कि जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है. इसी को लेकर हमने सोचा कि हमारे संविधान में देश के सभी नागरिकों को बराबर अधिकार हैं. संविधान में सबको बराबरी के अधिकार दिए हैं. इसलिए हमने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर विवाह किया है.
यह कदम बहुत अच्छा और प्रेरणादायक
इस अनूठी शादी में आए मेहमानों ने शादी की सराहना भी की. मेहमान प्रशांत गर्ग का कहना है कि यह बहुत अच्छा निर्णय है. जिस तरह समाज में जाति भावनाओं को लेकर शादियां होती हैं या लेन-देन (दहेज) की बात होती है, उसको देखते हुए दर्शन का यह कदम बहुत अच्छा और प्रेरणादायक है.