मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव बुधवार सुबह सागर जिले के बरोदिया नोनागिर गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित दलित परिवार से मुलाकात की. इस दौरान सीएम ने बड़ोदिया नोनागिर में पुलिस चौकी खोलने का आश्वासन दिया. साथ ही कहा कि मृतक राजेंद्र अहिरवार के परिवार को 8 लाख 25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आधी राशि 4 लाख 12500 हजार बैंक खाते में जमा होगी. शेष आधी राशि चालान पेश होने पर दी जाएगी.
मुख्यमंत्री यादव ने कहा, ऐसी घटना न हो, हम सभी इसका प्रयास करेंगे. राज्य सरकार पीड़ित परिवार के साथ है. यहां पर बार-बार घटनाएं हो रही हैं, इसके लिए पुलिस चौकी का इंतजाम करेंगे और पुलिस प्रबंधन भी करेंगे, ताकि दोबारा ऐसी घटना ना हो.
परिवार के बड़े बूढ़ों को भी विश्वास में लिया जाएगा. मैं दु:ख की इस घड़ी में शोकाकुल परिवार के साथ हूं. इस मामले में हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं, कांग्रेस ऐसी दु:खद घटना पर राजनीति न करें.
घटना जब भी होती है तो पीड़ित का मन आहत होता है. सरकार की संवेदनशीलता है. पीड़ित परिवार की हिम्मत बनाने के लिए सरकार उनके साथ खड़ी है. घटनाएं आपस में रंजिश के कारण हो रही हैं. सरकार यह प्रयास करेगी कि दोबारा ऐसी घटना न हो..
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, मेरी मृतकों के परिवार के साथ सहानुभूति है. गांव के लोग मिलें तो आगे आपस में झगड़ा न हो. मैंने प्रशासन से भी कहा है कि वो मुस्तैदी से पेश आए. पुलिस चौकी खोलकर आगे इस तरह की किसी घटना को रोकने के लिए इंतजाम किए जाएंगे.
CM ने कहा कि कांग्रेस का काम अपोजिशन का है. उनको बोलते रहना है. उनको खुद मालूम है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी दोनों घर बैठ कर आए थे, जहां झगड़ा हुआ वहां भी और जिनके घर घटना हुई वहां भी. बाहर से आकर कोई भी आदमी क्या करेगा..? परस्पर घटना हुई है. उस घटना की गंभीरता का एहसास हमको है.
दरअसल, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह से लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी पीड़ित के गांव में पहुंचे थे. उन्होंने दलित पीड़ित परिवार की राहुल गांधी से मोबाइल फोन पर बातचीत कराई थी. दलित युवती अंजना अहिरवार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी सागर जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाने की मांग की.
क्या है मामला?
बता दें कि पिछले साल अगस्त में सागर जिले के बरोदिया नोनागिर गांव में पुरानी दुश्मनी को लेकर लोगों के एक समूह ने नितिन अहिरवार की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. उसकी मृत्यु के बाद अंजना अहिरवार ने एक FIR दर्ज कराई कि उसके भाई की हत्या कर दी गई, क्योंकि कुछ लोग उत्पीड़न मामले में समझौते के लिए उन पर दबाव डाल रहे थे.
बीते शनिवार को हत्या के मामले में राजीनामे को लेकर हुई बैठक के दौरान मृतक नितिन के चाचा रामसेवक अहिरवार की हत्या कर दी गई. जब रामसेवक का शव पोस्टमार्टम के बाद अस्पताल से गांव लाया जा रहा था तब उसकी भतीजी अंजना चलती एम्बुलेंस से कूद गयी थी. घटना में युवती की मौत हो गई.