MP News: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि कई लोग जनजातीय समाज की बेटियों से शादी कर उनकी जमीन हड़पने का षड्यंत्र करते हैं. मैं मध्यप्रदेश की धरती पर लव जिहाद का खेल चलने नहीं दूंगा. सीएम ने दिल्ली में हुए श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड का नाम लिए बिना कहा कि कोई बेटी के 35 टुकड़े कर दे, मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा. जरूरत पड़ी तो लव जिहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया जाएगा.
इंदौर के नेहरू स्टेडियम में क्रांति सूर्य टंट्या मामा भील बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने कहा, जमीन हथियाने के लिए आदिवासी महिला से शादी नहीं हो सकेगी. उन्होंने मंच से पेसा एक्ट के बारे में भी जानकारी दी. कहा कि वे इस एक्ट के मास्टर ट्रेनर हैं.
'सबको ट्रेंड करने आया हूं'
मुख्यमंत्री ने कहा, मैं पेसा एक्ट समझाने वाला मास्टर ट्रेनर हूं. आज आप सबको ट्रेंड करने आया हूं, जिससे हमारे जनजातीय भाई-बहन अपने अधिकारों को समझें और अपना और अपने गांव को समृद्ध कर आत्म-निर्भर बनाएं. प्रदेश में मास्टर ट्रेनर्स बना कर प्रशिक्षण देने का काम चल रहा है. हर विकासखंड में 15-15 कोआर्डिनेटर बनाए जाएंगे. पेसा एक्ट के माध्यम से जनजातीय वर्ग की जिंदगी बदलने का काम करना है.
पेसा एक्ट लागू
उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश के 89 जनजातीय बहुल विकासखंडों में पेसा एक्ट लागू किया जा चुका है, जो जनजातीय समुदाय को जल, जंगल और जमीन का हक प्रदान करता है. पेसा एक्ट में हर गांव में समितियां बनेंगी. इन समितियों में एक तिहाई सदस्य महिला होंगी. ग्राम सभाओं को अपने गांव की जल, जंगल और जमीन के इस्तेमाल का पूरा अधिकार होगा. पेसा एक्ट छल-कपट से छीनी गई जमीन पर जनजातीय समाज को दोबारा अधिकार दिलवाएगा. गांव की रेत, गिट्टी, पत्थर पर पहला हक जनजातीय सहकारी समितियों का होगा.
कई बार बड़े खेल हो जाते हैं: शिवराज
इससे पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बड़वानी के सेंधवा में कहा था कि कई बार बड़े खेल हो जाते हैं. खुद जमीन नहीं ले सकते तो किसी आदिवासी के नाम से जमीन ले ली जाती है. कई बदमाश ऐसे भी आ गए हैं जो आदिवासी बेटी से शादी करके उसकी जमीन अपनी कर लेते हैं.
'समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए'
शिवराज ने आगे कहा था, मैं तो इस बात का पक्षधर हूं कि भारत में अब समय आ गया है कि एक समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. एक से ज्यादा शादी क्यों करें? कोई एक देश में दो विधान क्यों चले? नियम एक ही होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि मध्य प्रदेश में भी मैं कमेटी बना रहा हूं. समान नागरिक संहिता में एक पत्नी रखने का अधिकार है तो एक ही पत्नी होनी चाहिए.
गुजरात और उत्तराखंड में भी ऐलान
गौरतलब है कि बीजेपी शासित गुजरात में भी अक्टूबर माह में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कमेटी के गठन का ऐलान किया गया था. इसे गुजरात चुनाव से जोड़कर भी देखा गया था. वहीं उत्तराखंड में भी चुनाव से समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की गई थी. सरकार बनने के बाद इसे लागू किया गया था.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. जाति हो या धर्म. आप पुरुष हों या महिला, कानून सबके लिए बराबर है. शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत. लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस की जाती रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. इसका अर्थ है- भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों ना हो. समान नागरिक संहिता जिस राज्य में लागू की जाएगी- वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.