व्हाइट टाइगर सफारी के रूप में सतना जिला पहले ही देश में अपनी पहचान बना चुका है. अब हाल ही में नई सरकार के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने काऊ सफारी बनाने की बनाने की बात कही है. कहा कि मझगंवा के जंगल में बगदरा घाटी गोचर के लिए बेहतर जगह है. जहां भारी संख्या में गौ वंश इकट्ठा होता है और 10 हजार गो वंश को संरक्षण मिल सकता है. इससे न सिर्फ गो वंश सुरक्षित होगा बल्कि किसानों की फसल भी सुरक्षित रहेगी. लिहाजा काऊ सफारी के रूप में जल्द गौ-अभयारण्य बनाए जाने की बात कही है.
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि चित्रकूट के बगदरा घाटी में गौवंश संरक्षण के लिए काऊ सफारी के रूप में गौ अभयारण्य विकसित किया जाएगा. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र पुराने समय से गौमाता के प्राकृतिक रहवास के रूप में जाना जाता रहा है.
उन्होंने कहा कि बगदरा घाटी में सड़क के दोनों ओर 20-20 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल क्षेत्र को फेनसिंग कर वन्य प्राणियों से सुरक्षित किया जाएगा. लगे हुए राजस्व भूमि के 50 एकड़ जमीन पर गौशाला एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी. डिप्टी सीएम शुक्ल बगदरा में गौ-अभयारण्य विकसित करने की कार्ययोजना की समीक्षा कर रहे थे.
राजेंद्र शुक्ल नेकहा कि बसामन मामा गौ अभयारण्य की तर्ज पर यहां भी दानदाताओं और जनसहयोग से गौशाला के संचालन में सहयोग लिया जाएगा. गौवंश के सरंक्षण के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 10 हजार गौमाता के संरक्षण के लिए गौ-अभयारण्य विकसित किए जाने के प्रयास होने चाहिए.
प्रभारी कलेक्टर डॉ परीक्षित झाड़े और जिला वनमंडलाधिकारी (DFO) विपिन पटेल ने बगदरा घाटी में बनाए जाने वाले गौ अभ्यारण्य की रूपरेखा और कार्य योजना पेश की. गौ-अभयारण्य में लगभग बीस हजार गौवंशीय पशुओं को रखने की व्यवस्था की जाएगी. यह भी बताया गया कि बगदरा घाटी के समीप निकटतम ग्राम पिण्डरा और पड़मनिया जागीर में गौशालायें संचालित की जा रही हैं.
सतना में स्वीकृत कुल 110 गौशालाओं में से 90 गौशालायें पूर्ण कर संचालित की जा रही हैं. बैठक में गौशालाओं के संचालन से स्थानीय जनों की आजीविका सुधार में किए जा रहे नवाचारों की जानकारी दी गयी. बैठक में स्थानीय जन प्रतिनिधि राजस्व एवं वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे.