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दमोह के स्कूल में हिजाब मामले के बाद एक और खुलासा, टीचर्स का कराया गया धर्म परिवर्तन

Damoh School Case: मध्य प्रदेश के दमोह में कथित तौर पर हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनने पर मजबूर करने वाले निजी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई थी. इसके बाद अब स्कूल की प्रिंसिपल और दो टीचर्स के धर्मांतरण की बात भी सामने आई है. ये खुलासा बाल कल्याण आयोग की टीम ने अपनी जांच में किया है.

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दमोह के स्कूल में हिजाब मामले के बाद एक और खुलासा. (फाइल फोटो)
दमोह के स्कूल में हिजाब मामले के बाद एक और खुलासा. (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश के दमोह का गंगा जमुना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिजाब मामले को लेकर सुर्खियों में आया था. अब स्कूल की प्रिंसिपल और दो टीचर्स के धर्मांतरण की बात भी सामने आई है. ये खुलासा बाल कल्याण आयोग की टीम ने अपनी जांच में किया है. आयोग की टीम स्कूल पहुंची थी और लड़कियों को हिजाब पहनाने के मामले के साथ अन्य बिंदुओं पर जांच की थी. इसके बाद ये बात सामने आई कि इसी स्कूल में धर्म परिवर्तन भी कराया गया. 

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बाल कल्याण समिति दमोह के सदस्य दीपक तिवारी ने बताया कि टीम ने जांच में स्कूल की महिला प्रिंसिपल के साथ अन्य दो टीचर्स के नाम में अंतर पाया है. उनके पुराने नाम हिंदू होने की तस्दीक करते हैं, जबकि अब उनके नाम मुस्लिम धर्म के मुताबिक हैं. आयोग अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या स्कूल में नौकरी देने के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया. 

'गैर मुस्लिम बच्चों को कुरान की आयतें पढ़ाई जा रही हैं'

उन्होंने ये भी बताया है कि स्कूल में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों को कुरान की आयतें पढ़ाई जा रही हैं. इसके बारे में कुछ बच्चों ने उन्हें बताया है और आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है. फिलहाल हिजाब के साथ-साथ अब शिक्षिकाओं के धर्म परिवर्तन और बच्चों को इस्लामिक शिक्षा दिए जाने की जांच भी हो रही है.

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हिंदू संगठनों की शिकायत के बाद सीएम ने दिया था जांच का आदेश

बता दें कि हिजाब मामले को लेकर हिंदू संगठनों की शिकायत के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जांच का आदेश दिया था. इसके बाद स्कूल की मान्यता भी रद्द की गई थी. मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी इस मामले पर बयान जारी किया था.

उन्होंने कहा था कि अगर जबरदस्ती स्कूल प्रबंधन हिंदू बच्चियों को हिजाब पहना रहा है तो दमोह कलेक्टर को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने मांग की थी कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि क्या इसकी अनुमति छात्राओं के परिवार से ली गई है?
 

 

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