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'वन नेशन, वन इलेक्शन' के समर्थन में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री, बोले- भारत बनेगा हिंदू राष्ट्र

धीरेंद्र शास्त्री ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दू राष्ट्र वाले मुद्दे पर कहा कि अगर संघ लग गया है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने कहा कि ये हमारा और समूचे राष्ट्रवासियों का सौभाग्य है.

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धीरेंद्र शास्ज्ञी (file photo).
धीरेंद्र शास्ज्ञी (file photo).

बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का समर्थन किया है. सतना से दिल्ली जाते वक़्त उन्होंने कहा ''राजनीति के मामले में उनका ज्ञान अनुभव सूक्ष्म और शून्य है फिर भी आर्थिक सुधार जैसे भी हो सके होना चाहिए. बहुत कम व्यय में चुनाव हों, उसी धनराशि को गरीबों में लगाया जाए. हमारे क्षेत्र में पिछड़े लोग बहुत हैं, बहुत अच्छे हॉस्पिटल्स नहीं हैं, उसमें लगाया जाए तो निश्चित रूप से बड़ा अच्छा होगा.''

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'भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता'

धीरेंद्र शास्त्री ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दू राष्ट्र वाले मुद्दे पर कहा कि अगर संघ लग गया है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने कहा कि ये हमारा और समूचे राष्ट्रवासियों का सौभाग्य है और भारत में रहने वाले हिंदुओं का सौभाग्य है कि इस देश का सबसे बड़ा संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का दिव्य संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है. अब संघ ने कहा दिया तो हिन्दू राष्ट्र बनने ही वाला है. हिन्दू राष्ट्र बनकर रहेगा.

देखें वीडियो...

बता दें कि, बागेश्वर धाम सरकार और कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुक्रवार को सतना जिले के मैहर स्थित मां शारदा शक्तिपीठ पहुंचे थे. यहां उन्होंने माई शारदा की पूजा अर्चना की थी. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. उनके साथ सेल्फी लेने वालों में होड़ सी मच गई थी. आलम यह रहा था भीड़ को काबू में करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को पसीना आ गया था.

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एक देश-एक चुनाव है क्या?

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केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. वजह है कि इस दौरान मोदी सरकार संसद में एक देश-एक चुनाव बिल लेकर आ सकती है. संसद का विशेष सत्र बुलाने के इस फैसले से विपक्ष भड़क गया है. लेकिन यह एक देश-एक चुनाव है क्या? जिस पर हंगामा मचा हुआ है और पूरा विपक्ष एकजुट खड़ा है. एक देश-एक चुनाव का सीधा सा मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. आजादी के बाद कुछ सालों तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ ही होते थे. लेकिन बाद में समय से पहले विधानसभा भंग होने और सरकार गिरने के कारण ये परंपरा टूट गई थी.

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