मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद सूबे में सियासी घमासान मचा हुआ है. कहीं नेता टिकट न मिलने पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती सुर अपना रहे हैं तो कहीं सियासी भविष्य को देखते हुए दल बदलने की कोशिश कर रहे हैं. इन सबके बीच राज्य में रविवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के नाम से एक लेटर वायरल हुआ.
इस लेटर में लिखा है, "अपने पांच दशक के राजनीतिक सफर में कई अनुभव मुझे कांग्रेस में रहते हुए मिले. एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफर मैंने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए तय किया. पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय महासचिव से लेकर राज्यसभा सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचाने का काम किया, जिसके लिए मैं आजीवन आभारी रहूंगा. लेकिन गत कुछ महीनों से शीर्ष नेतृत्व में उदासीनता देखकर मैं आहत हूं. मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ता केंद्रित दल न होकर अब विशेष नेता केंद्रित हो गई है. जिसकी वजह से खुद को असहत पा रहा हूं"
"मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के चयन में मेरे द्वारा दिए गए नामों पर विचार नहीं किया गया है. निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दिए जाने से मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची है. मैं अब ऐसे पड़ाव पर पहुंच गया हूं जहां मुझे लगता है कि मैं अब ऐसे अन्यायपूर्ण माहौल में नहीं रह सकता".
"मैं उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने वर्षों से मेरी विभिन्न पार्टी भूमिकाओं में मेरा समर्थन किया है. भारी मन से मैं पार्टी के साथ अपना जुड़ाव खत्म करने के अपने फैसले की घोषणा करता हूं. कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पद से इस्तीफा देता हूं. इसे स्वीकार करें".
बीजेपी झूठ बोलने में माहिर है- दिग्विजय सिंह
वायरल लेटर को लेकर दिग्विजय सिंह ने बीजेपी को घेरा है. इस्तीफे की बात को खारिज करते हुए कहा, "बीजेपी झूठ बोलने में माहिर है. 1971 में मैंने कांग्रेस की सदस्यता ली थी. पद के लिए नहीं, बल्कि विचारधारा से प्रभावित हो कर जुड़ा था. जीवन की आखिरी सांस तक कांग्रेस में रहूंगा. इस झूठ की पुलिस में शिकायत दर्ज करा रहा हूं".
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने डीसीपी पुलिस थाना साइबर सेल भोपाल से शिकायत की है. साथ ही दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए डीजीपी से अनुरोध किया है, "महोदय क्या आप इन झूठे लोगों पर FIR दर्ज करेंगे?"