मध्य प्रदेश में धान उपार्जन का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें फर्जी किसान रजिस्ट्रेशन के जरिए सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया. इस घोटाले के खुलासे के बाद आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पूरे प्रदेश में छापेमारी शुरू की है. अब तक की जांच में 19 हजार 910.53 क्विंटल धान की हेराफेरी पकड़ी गई है, जिसकी कीमत करीब 5 करोड़ रुपये आंकी गई है.
EOW ने भोपाल, जबलपुर, सागर, रीवा और ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक कार्यालयों की 25 टीमों के साथ 12 जिलों की 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउसों पर छापे मारे. बालाघाट, जबलपुर, डिंडोरी, रीवा, सतना, मैहर, सागर, पन्ना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर और श्योपुर में की गई इस कार्रवाई में धान की जगह भूसी तक मिली. सतना जिले के एक वेयरहाउस में 535 क्विंटल धान के बदले भूसी पाई गई, जिससे घोटाले के और बड़े होने का अंदेशा जताया जा रहा है.
क्या है धान उपार्जन घोटाला?
EOW सूत्रों ने बताया कि उपार्जन समितियां फर्जी किसानों का रजिस्ट्रेशन करती हैं और बिना धान खरीदे ई-उपार्जन पोर्टल पर फर्जी प्रविष्टियां दर्ज कर लेती हैं. इसके बाद ट्रांसपोर्ट और वेयरहाउस के फर्जी रिकॉर्ड तैयार किए जाते हैं, और समिति द्वारा दर्ज मात्रा के आधार पर भुगतान कर दिया जाता है. इस फर्जीवाड़े से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. EOW को शक है कि इसमें समिति के पदाधिकारियों के साथ-साथ कुछ ट्रांसपोर्टर, वेयरहाउस और राइस मिलें भी शामिल हैं.
अब तक 5 करोड़ की हेराफेरी पकड़ी गई
EOW की छापेमारी में अब तक 19 हजार 910.53 क्विंटल धान की हेराफेरी के सबूत मिले हैं, जिसकी कीमत 5 करोड़ रुपये आंकी गई है. सतना में भूसी मिलने की घटना ने घोटाले की गहराई को उजागर किया है. अधिकारियों का मानना है कि यह घोटाला इससे भी बड़ा हो सकता है, और जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है.
सख्त कार्रवाई के संकेत
इस घोटाले के सामने आने के बाद EOW ने जांच तेज कर दी है. फर्जीवाड़े में शामिल सभी पक्षों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी है. यह घटना किसानों के हक पर डाका डालने की साजिश को उजागर करती है, जिससे सरकार और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं.