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CM से लेकर डिप्टी सीएम और मंत्रियों ने जताया जोधइया बाई के निधन पर शोक, पद्मश्री पुरस्कार से थीं सम्मानित

Jodhaiya bai baiga: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के ग्राम लोधा निवासी पद्मश्री जोधइया बाई के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से लेकर उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल समेत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके और जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने गहन दुःख व्यक्त किया है. 

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जोधइया बाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.
जोधइया बाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद्मश्री से सम्मानित किया था.

बैगा चित्रकला की पहचान रहीं  उमरिया जिले की जनजातीय (बैगा) चित्रकार पद्मश्री जोधइया बाई का रविवार को निधन हो गया. 86 वर्षीय जोधइया बाई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं. मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के ग्राम लोधा निवासी पद्मश्री जोधइया बाई के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से लेकर उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल समेत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके और जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने गहन दुःख व्यक्त किया है. 

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CM मोहन यादन ने 'X' पर लिखा,  उमरिया जिले के ग्राम लोधा से सुप्रसिद्ध बैगा चित्रकार पद्म श्री जोधइया बाई के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. आज मध्यप्रदेश के साथ देश ने भी एक ऐसी कलाकार को खो दिया, जिन्होंने पूरा जीवन जनजातीय संस्कृति, कला व परंपराओं पर आधारित चित्रकला को देश-विदेश में एक पहचान दिलाई. जनजातीय चित्रकला और समर्पण के माध्यम से आप सदैव याद की जाएंगी. बाबा महाकाल से दिवंगत की पुण्यात्मा को शांति प्रदान करने और परिजनों व प्रशंसकों को अपार दु:ख सहन करने की प्रार्थना करता हूं.

बैगा समुदाय की वरिष्ठ चित्रकार थीं जोधइया बाई: देवड़ा 

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि जोधइया बाई विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय की वरिष्ठ चित्रकार थीं. मध्यप्रदेश के बैगा बहुल गाँव लोढ़ा, जिला उमरिया की निवासी जोधड्या बाई को 22 मार्च, 2023 को राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू ने कला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. वर्ष 2022 में भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधइया बाई को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. 

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उप मुख्यमंत्री देवड़ा ने कहा कि जोधइया बाई ने अपना सफर जनजातीय कला को रंगों से सजाने से शुरू किया. उनके चित्रों में स्थानीय देवी देवताओं, पशु-पक्षियों की झलक देखने को मिलती है. चित्रों का रंग संयोजन इतना आकर्षक होता है कि देखने वाले बस देखते रह जाते हैं. उन्होंने बताया कि प्रारंभ में उनके जीवन का लम्बा समय अभावों में मजदूरी करते हुए बीता.

देवड़ा ने कहा कि जोधइया बाई पढ़ी-लिखी नहीं थीं और ना ही वे कला के मानकों मूल्यों के बारे में कुछ जानती हैं. उनकी अद्भुत कला-प्रतिभा को संसार के समक्ष लाने का श्रेय एक स्थानीय कला प्रेमी आशीष स्वामी को जाता है. स्वामी ने उनकी चित्रकारी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए इटली की गैलेरिया फ्रांसिस्को जनूसो संस्था से संपर्क किया. इटली के मिलान से लेकर फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका और जापान तक जोधइया बाई की चित्रकला प्रदर्शित हो चुकी है. देवड़ा ने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. 

दुनिया को जनजातीय जीवन का अनूठा दर्शन कराया: राजेंद्र शुक्ल

सूबे के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि पद्मश्री जोधइया बाई ने अपनी अद्वितीय कला और कौशल से न केवल बैगा जनजातीय संस्कृति को संरक्षित किया, बल्कि उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. उनकी कलाकृतियां भारतीय परंपराओं, जनजातीय जीवन और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने दुनिया को जनजातीय जीवन का अनूठा दर्शन कराया.

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शुक्ल ने कहा कि पद्मश्री जोधइया बाई का योगदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने में मील का पत्थर साबित हुआ है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा. उनकी इस अप्रतिम यात्रा और योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा. उन्होंने दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

परंपराओं को संरक्षित किया: संपतिया उइके

मंत्री संपतिया उइके ने कहा, "पद्मश्री जोधइया बाई की कलाकृतियां जनजातीय जीवन की गहराइयों और हमारी सांस्कृतिक विविधता का अद्वितीय चित्रण करती हैं. उनके कार्यों ने न केवल हमारी परंपराओं को संरक्षित किया, बल्कि उन्हें एक नई ऊर्जा और पहचान भी दी। उनका योगदान हमारी सांस्कृतिक धरोहर के लिए मील का पत्थर है और यह सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा."

महिला मंत्री उइके ने जोधइया बाई को एक सशक्त सांस्कृतिक प्रतीक बताते हुए कहा कि उन्होंने जनजातीय जीवन की सौंदर्य शास्त्र को अपनी कला में संजोया और इसे पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया. उनकी यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी. 

प्रतिभा और समर्पण की मिसाल: विजय शाह

वहीं, जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पति प्रबंधन और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री विजय शाह ने कहा है कि जोधइया बाई का जीवन संघर्ष, प्रतिभा और समर्पण की मिसाल है. शिक्षा से वंचित होते हुए भी उन्होंने अपने अद्भुत हुनर से बैगा जनजाति की चित्रकला को देश और दुनिया में एक नई पहचान दिलाई. कला जगत में उनका योगदान अद्वितीय था. उन्होंने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान और राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान जैसे प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार प्राप्त कर उन्होंने मध्यप्रदेश और देश को गौरवान्वित किया.

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मंत्री शाह ने जोधइया बाई के शोक संतप्त परिजन और प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं. उन्होंने परमपिता परमेश्वर से आत्मा की शांति और परिजन को यह दुःख वहन करने का संबल देने की कामना की है.

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