मध्य प्रदेश के खरगोन में शिक्षा विभाग में नौ करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आई है. भाजपा के ही पूर्व विधायक ने करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि बच्चों के नाम और स्कूल में रंगाई-पुताई सहित दूसरे कामों के फर्जी बिल लगाकर करीब 9 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है.
इसमें जिले के डीपीसी का हाथ है. पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन ने मामले को लेकर पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्कूल शिक्षा मंत्री और खरगोन कलेक्टर से शिकायत कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
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पूर्व विधायक ने लगाए गंभीर आरोप
खरगोन में भाजपा से विधायक रहे बाबूलाल महाजन ने स्थानीय गायत्री मंदिर परिसर में पत्रकार वार्ता कर भ्रष्टाचार का खुलासा किया है. मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में पूर्व विधायक महाजन ने कहा, ''जनशिक्षकों, बीआरसीओ और डीपीसी ने मिलकर नौ करोड़ रुपए का करप्शन किया है.''
पूर्व विधायक ने कहा, "जिले के डीपीसी कमलेश कुमार डोंगरे के इशारे पर करप्शन का पूरा खेल चल रहा है. बीआरसी और जन शिक्षकों का भी इसमें अहम रोल है. जिले के समस्त विकास खंडों के 2,465 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में अधिक विद्यार्थियों के होने की बात बताकर, काम के फर्जी बिल और सामान खरीदी के फर्जी बिल लगाकर सरकार से करोड़ों की रकम ली गई है. करप्शन की राशि नौ करोड़ रुपए है."
अग्निशमन के नाम पर 5000 रुपए रुपए का गबन
पूर्व विधायक ने आरोप लगाया, "जिले के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में 2000 से लेकर 5000 रुपए तक के अग्निशामक यंत्र होने के बिल लगाए गए हैं. मगर, आश्चर्य इस बात का है कि किसी भी स्कूल में अग्निशामक यंत्र आज तक नहीं पहुंचे हैं. डीपीसी डोंगरे के निर्देश पर बीआरसी ने फर्जी फर्मों के बिल लगाकर राशि निकाली है."
उन्होंने आगे कहा, "खेल सामग्री के नाम पर प्लास्टिक के खिलौने लिए गए. रंगाई-पुताई नहीं हुई, लेकिन बिल महंगे पेंट का लगाया गया है. बालिकाओं के आत्मरक्षा प्रशिक्षण की राशि करप्शन की भेंट चढ़ गई. इसके साथ ही जन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति में भी गड़बड़झाला किया गया है."
शिक्षक विहीन शाला में सबसे बड़ा हुआ फर्जीवाड़ा
पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन ने कहा सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा शिक्षक विहीन शालाओं में हुआ है. भगवानपुरा जिला भीकनगांव में 148 प्राथमिक और 42 प्राथमिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं. इनका प्रभार जन शिक्षकों के पास है. इन स्कूलों में आज तक एक भी रुपए की खेल सामग्री नहीं पहुंची है न ही स्कूलों की रंगाई पुताई हुई है."
उन्होंने आगे कहा, "इसी प्रकार स्कूलों की मरम्मत भी नहीं हुई, फिर भी सारी राशि फर्जी बिल लगाकर बांट ली गई है. इन विकासखंडों की कुछ शालाओं की दर्ज संख्या को भी फर्जी तरीके से बढ़ा दिया गया. साथ ही स्कूल में छात्रों की संख्या को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया. जैसे किसी स्कूल में 25 छात्र थे, तो वहां छात्रों की संख्या 35 से 70 कर दी गई."