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दिलचस्प रहा ये मुकाबला... सिपाही ले आया IPS अफसर से ज्यादा वोट, सांसद बनने की दौड़ में शामिल थे दोनों

सांसद पद की दौड़ में पुलिस विभाग के रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल थे. इनमें एक रिटायर्ड सिपाही बाबूलाल सेन मौलिक अधिकारी पार्टी के टिकट पर चुनावी में मैदान में उतरे, तो वहीं पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त निर्दलीय उम्मीदवार थे. 

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बाएं से बाबूलाल सेन और मैथिलीशरण गुप्त.
बाएं से बाबूलाल सेन और मैथिलीशरण गुप्त.

मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला. 4 जून को घोषित चुनाव परिणाम में एक रिटायर्ड सिपाही ने ज्यादा वोट हासिल करके पूर्व महानिदेशक (DG) को पछाड़ दिया. 

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दरअसल, भोपाल संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के आलोक शर्मा ने 5 लाख से ज्यादा वोट हासिल करके कांग्रेस एडवोकेट अरुण श्रीवास्तव को परास्त किया. 22 उम्मीदवारों के अलावा इस चुनाव में 6 हजार 621 वोट बटोकर NOTA तीसरे नंबर पर रहा.

लेकिन सांसद पद की दौड़ में पुलिस विभाग के रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल थे. इनमें एक रिटायर्ड सिपाही बाबूलाल सेन मौलिक अधिकारी पार्टी के टिकट पर चुनावी में मैदान में उतरे, तो वहीं पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त निर्दलीय उम्मीदवार थे. 

चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो बाबूलाल सेन को 720 वोट और मैथिलीशरण गुप्ता को कुल 427 वोट प्राप्त हुए. मतलब इस मुकाबले में पूर्व सिपाही ने पूर्व डीजी से 293 मत अधिक प्राप्त कर लिए. 

खास बात यह है कि 1984 बैच के आईपीसी अफसर रहे मैथिलीशरण गुप्ता 2021 में मध्य प्रदेश में स्पेशल डीजी के पद से रिटायर हुए थे. अब 63 साल के गुप्त 'पुलिस सुधार और क्राइम फ्री इंडिया' कैंपेन चलाते हैं. इसके चलते सामाजिक कार्यक्रमों समेत सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्मस पर खासे सक्रिय हैं. 

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इससे इतर 59 साल के बाबूलाल सेन मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद से रिटायर होने के बाद अपने गृह जिले रीवा में रहते हैं. साथ ही भोपाल और सोशल मीडिया पर सेन की पूर्व डीजी के मुकाबले सक्रियता नहीं है. ऐसे में अब अधिकारी और कर्मचारी के बीच मतों का अंतर चर्चा का विषय बना हुआ है. 

चौथे नंबर पर NOTA, 19 उम्मीदवारों को पछाड़ा  
भोपाल लोकसभा में NOTA 6 हजार 621 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहा. नतीजों में पहला नंबर बीजेपी के आलोक शर्मा, दूसरा कांग्रेस प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव और चौथा स्थान बहुजन समाज पार्टी के भानु प्रतान सिंह का रहा. 

वहीं, NOTA ने भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़े 22 उम्मीदवारों में से 19 को पीछे छोड़ दिया. बता दें कि बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशी को छोड़ दिया जाए तो नोटा के अलावा किसी को एक हजार वोट नहीं मिले. मतलब 19 प्रत्याशी नोटा से परास्त हो गए. 

जमानत नहीं बचा सके 19 
किसी प्रत्याशी को अपनी जमानत राशि बचाने के  लिए कुल मतदान का 1.66 फीसदी यानी करीब 25 हजार वोट प्राप्त करने थे, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस छोड़ बाकी के उम्मीदवार 318 से 13305  वोटों तक ही सिमटकर रह गए. इसलिए अब उनकी जमानत राशि जब्त हो जाएगी. 

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