मध्यप्रदेश स्थित विश्व के सबसे बड़े रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्रोजेक्ट को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने केस स्टडी के रूप में शामिल किया है. सोलर पॉवर पार्क और प्लांट के एक्सीलेंट मैनेजमेंट, ऑपरेशन और सोलर एनर्जी प्रोडक्शन को आदर्श उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है. रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट न सिर्फ़ विश्व का सबसे बड़ा प्लांट है, बल्कि विश्व में सबसे सस्ती दर पर व्यावसायिक उर्जा उत्पादन करने वाला प्लांट भी है. यहां से 3 रुपये 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली अगले 25 सालों के लिए उपलब्ध हो सकेगी.
मध्यप्रदेश में भरपूर सौर ऊर्जा है. यहां 300 से ज्यादा दिनों तक सूर्य का प्रकाश रहता है. विश्व बैंक के क्लीन टेक्नालॉजी फंड के माध्यम से वित्त पोषित देश की पहली सौर परियोजना है. आज विश्व के 10 सर्वाधिक बड़ी सोलर परियोजनाओं में से आधी भारत में है. रीवा सोलर पॉवर प्लांट इनमें से एक है.
कैसे हुई शुरुआत?
भारत सरकार ने साल 2014 में सोलर पार्क योजना की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य सोलर पॉवर को बढ़ावा देना था. इस योजना में 500 मेगावाट क्षमता से ज्यादा की सोलर परियोजनाओं को सोलर पार्क में शामिल किया गया और उन्हें अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क कहा गया. केस स्टडी में बताया गया कि भारत में 4 लाख 67 हजार वर्ग मीटर बंजर भूमि आंकी गई है. इसका उपयोग सोलर प्लांट लगाने में किया जा सकता है. मध्यप्रदेश में 1579 हेक्टेयर जमीन का आकलन किया गया, जिसमें 1255 हेक्टेयर बंजर जमीन सरकारी और 384 हेक्टेयर प्राइवेट जमीन शामिल है. इस प्रकार रीवा सोलर अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट बनने की शुरुआत हुई.
सोलर पॉवर प्लांट की दिलचस्प यात्रा
रीवा सोलर पॉवर प्लांट की यात्रा दिलचस्प है. इसकी शुरुआत जून 2014 में बड़वार गांव में 275 हेक्टेयर जमीन आवंटन के साथ शुरू हुई. राज्य सरकार ने अप्रैल 2015 में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट लगाने का अप्रूवल दिया. दो महीने बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसमें मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम और एसईसीआई के साथ 50 -50 प्रतिशत का जॉइंट वेंचर स्थापित हुआ. इसके बाद बड़वार, बरसेटा देश, बरसेटा पहाड़, इतर पहाड़, रामनगर पहाड़ गांवों में 981 हेक्टेयर जमीन का आवंटन हुआ. साल 2018-19 तक और भी गांव में उपलब्ध बंजर जमीन को परियोजना के लिए आवंटित किया गया. अप्रैल 2019 में दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन को पावर सप्लाई देना शुरू हुआ. जनवरी 2020 से पूरी तरह से व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया.
रीवा सोलर प्रोजेक्ट केस स्टडी के रूप में शामिल
विश्व की सबसे बड़ी रीवा सौर परियोजना स्थापित होकर शुरू हो चुकी है. इस परियोजना को अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने केस स्टडी के रूप में शामिल किया है. वहीं दूसरी ओर ओंकारेश्वर में प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी पर दुनिया की सबसे बड़ी 600 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजना भी विकसित की जा रही है. इसके अलावा प्रदेश के तमाम अंचलों में भी सौर ऊर्जा की कई छोटी-बड़ी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि हाल ही में गुजरात के गांधी नगर में नवकरणीय ऊर्जा को लेकर हुई राष्ट्रीय समिट में अनेक उद्योगपतियों ने मध्यप्रदेश में सोलर प्लांट लगाने की इच्छा जाहिर की है. राजधानी भोपाल में सरकारी भवनों और नागरिकों को अपने घर की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिये अभियान चलाया जाएगा. इन सभी प्रयासों से मध्यप्रदेश, सौर ऊर्जा प्रदेश बनने की अग्रसर हो गया है.