मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जज की कार छीनने वाले दोनों छात्रों को सोमवार को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. संभवत: आज रात या कल तक छात्रों को जेल से छोड़ दिया जाएगा. अदालत ने हिमांशु श्रोत्री (22) और सुकृत शर्मा (24) को 12 दिसंबर जेल भेजा था. पुलिस ने दोनों को डकैती के आरोपी में गिरफ्तार किया था.
सोमवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में छात्रों की ओर से एडवोकेट भानुप्रताप सिंह और शासन की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल अंकुर मोदी ने अपना-अपना पक्ष रखा. दोनों ही पक्षों को सुनने और आरोपी छात्रों की केस डायरी देखने के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच की जस्टिस सुनीता यादव की कोर्ट ने आरोपियों की सशर्त जमानत याचिका मंजूर की. पुलिस की ओर से भी इस जमानत का विरोध नहीं किया गया था. अब सोमवार रात या मंगलवार दोपहर तक पूरी कागजी प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों छात्र जेल से छूट जाएंगे.
CM यादव ने भी दिए थे जांच के निर्देश
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) से जुड़े दोनों छात्रों को गिरफ्तार किए जाने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी जांच के निर्देश दिए थे.
मुख्यमंत्री ने डीजीपी को यह देखने के लिए कहा था कि क्या डकैती से संबंधित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज करना उचित था, क्योंकि छात्रों की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं थी. संपूर्ण परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जांच के बाद उचित कार्रवाई करना उचित होगा. इस मामले की जांच का निर्णय लिया गया है.
शिवराज ने भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ को पत्र लिखकर एबीवीपी के दो पदाधिकारियों के लिए माफी मांगी थी. जस्टिस मलिमथ को लिखे अपने पत्र में चौहान ने कहा, चूंकि यह एक अलग तरह का अपराध है जो एक पवित्र उद्देश्य के लिए किया गया है और जीवन बचाने के लिए मानवीय आधार पर किया गया है, यह माफ करने लायक है. हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा का इरादा कोई अपराध नहीं करना था, इसलिए उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए.
खारिज हो गई थी जमानत याचिका
बीते बुधवार को जिला कोर्ट में दोनों आरोपी छात्रों के मामले में सुनवाई हुई. डकैती मामलों की विशेष अदालत के जज संजय गोयल ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि कोई व्यक्ति विनम्रता से मदद मांगता है, बलपूर्वक नहीं. इसके बाद कोर्ट ने छात्रों की जमानत खारिज कर दी थी. इसके बाद एबीवीपी की ओर से सीनियर एडवोकेट भानुप्रताप सिंह चौहान हाईकोर्ट का रुख किया था.
बता दें कि ABVP के ग्वालियर सचिव हिमांशु श्रोत्रिय (22) और उप-सचिव सुकृत शर्मा (24) को डकैती विरोधी कानून एमपी डकैती और व्यापार प्रभाव क्षेत्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.
एबीवीपी की एमपी इकाई के सचिव संदीप वैष्णव ने दोनों का बचाव करते हुए कहा था कि दोनों छात्र एक ऐसे व्यक्ति की मदद करने की कोशिश कर रहे थे जिनकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी और उन्हें नहीं पता था कि रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी कार हाईकोर्ट के जज की थी.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि एबीवीपी के कुछ लोग ट्रेन में बैठकर दिल्ली से ग्वालियर आ रहे थे. इसी बीच ट्रेन के बोगी में बैठे झांसी की पीके यूनविर्सिटी के कुलपति रणजीत सिंह (68) की तबीयत बिगड़ गई. इसकी जानकारी ग्वालियर स्टेशन पर पहले से मौजूद एबीवीपी के अन्य पदाधिकारियों को दी गई. कार्यकर्ताओं ने बीमार कुलपति को ग्वालियर स्टेशन पर उतार दिया, लेकिन करीब 25 मिनट तक उसकी मदद के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं पहुंची. चूंकि कुलपति की हालत बिगड़ रही थी, ऐसे में एबीवीपी कार्यकर्ता उन्हें स्टेशन के बाहर खड़ी कार में अस्पताल ले गए. लेकिन बीमार कुलपति को बचाया नहीं जा सका. प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार कुलपति की मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई थी.