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GOBAiR...गाय के गोबर से IT इंदौर ने बनाया कंक्रीट जैसा मैटेरियल, बिल्डिंग निर्माण में हो सकेगा इस्तेमाल

इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने देश के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक निर्माण पद्धति से जोड़ने के लिए गाय के गोबर से प्राकृतिक फोमिंग एजेंट बनाया है. इसे ‘गोब-एयर' नाम दिया गया है और इस नवाचारी तकनीक के पेटेंट के लिए पहले ही अर्जी दायर की जा चुकी है.

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IIT इंदौर की फाइल फोटो
IIT इंदौर की फाइल फोटो

 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर ने गाय के गोबर से तैयार प्राकृतिक फोमिंग एजेंट- GOBAiR तैयार किया है जो कंक्रीट जैसी आधुनिक निर्माण सामग्री में मिलने पर थर्मल इन्सुलेशन के रूप में कार्य करेगा. अधिकारियों के मुताबिक गाय के गोबर से बना प्राकृतिक फोमिंग एजेंट देश में अपनी तरह का पहला उत्पाद है. उन्होंने कहा कि इस पर्यावरण हितैषी उत्पाद को निर्माण सामग्री में मिलाए जाने से न केवल मकान बनाने की लागत घटेगी, बल्कि इमारतें गर्मियों में ठंडी और जाड़ों में गर्म रहेंगी.

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यह अनूठा उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक है और बाजार में उपलब्ध रासायनिक-आधारित फोमिंग एजेंटों की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण और लागत-अनुकूल है. GOBAiR को प्रोफेसर संदीप चौधरी और उनके पीएचडी छात्र संचित गुप्ता द्वारा विकसित किया गया है. प्रोफेसर चौधरी ने पीटीआई को बताया, 'हम सोच रहे थे कि गाय के गोबर से आय बढ़ाकर गौशालाओं की किस तरह मदद की जा सकती है. इस दौरान हमें गाय के गोबर से प्राकृतिक फोमिंग एजेंट बनाने का विचार आया और हमने इसे अमलीजामा पहनाया.'

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बिल्डिंग निर्माण में मिलेगा फायदा

उन्होंने दावा किया कि GOBAiR की मदद से कम वजन वाला कंक्रीट तैयार किया जा सकता है और इसमें बाजार में मौजूद भवन निर्माण सामग्री के मुकाबले 24 प्रतिशत कम लागत आती है. चौधरी ने बताया कि ‘गोब-एयर' मिलाकर तैयार भवन निर्माण सामग्री लाल मिट्टी से बनने वाली ईंटों और 'फ्लाई ऐश' (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) की ईंटों के मुकाबले खासी किफायती साबित होती है. यदि मुनाफे की गणना रुपयों में की जाए, तो गाय के गीले गोबर से होने वाली मौजूदा आय 1 रुपये प्रतिकिलो से बढ़कर 4 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो सकती है.

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पेटेंट के लिए अर्जी दायर

टिकाऊ निर्माण सामग्री के रूप में GOBAiR को कंक्रीट, ईंटों, टाइलों और ब्लॉकों में जोड़ा जा सकता है. GOBAiR का उपयोग करके निर्माण अधिक पर्यावरण के अनुकूल होगा और ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग में अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक होगा. आईआईटी की टीम वर्तमान में एक विनिर्देश तालिका विकसित करने पर काम कर रही है. अधिकारियों ने बताया कि ‘गोब-एयर' की नवाचारी तकनीक के पेटेंट के लिए पहले ही अर्जी दायर की जा चुकी है.

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