इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में हुए हादसे ने कई लोगों को अपनी आगोश में लिया, कई जख्मी हुए. सरकार ने राहत का ऐलान कर दिया है, मृतकों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये देने की बात कही है. लेकिन इसे लापरवाही माना जाए या सिर्फ एक दुर्घटना, इसे किसी की गलती माना जाए या सिर्फ एक बुरा दिन, ये सवाल कई लोगों के मन में कौंध रहा है. इस बीच अपनों को विदाई देने के लिए पूरा इंदौर शहर उमड़ा है. जिन्होंने जान गंवाई, उनके परिवार वाले बिलख-बिलख कर रो रहे हैं, न्याय की मांग कर रहे हैं.
शुक्रवार को इंदौर की श्मशान घाट पर नजारा गमजदा करने वाला था. एक साथ कई लोगों की चिताएं जल रही थीं, गलती सिर्फ ये थी कि वे उस बेलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने गए थे जहां पर कुएं पर बनी छत धंस गई थी. ऐसी धंसी कि एक साथ कई लोग 50 फुट गहरे गढ्ढे में गिर गए. अभी तक 35 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, कई लोग घायल भी बताए जा रहे हैं, उनमें से कुछ की हालत गंभीर भी बनी हुई है. बड़ी बात ये रही कि शव ज्यादा आ गए, लेकिन श्मशान घाट पर उतनी जगह ही नहीं थी, ऐसे में कई चिताएं साथ जलाई गईं.
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पूरी घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने मृतकों के परिवार को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और घायलों को 50 हजार रुपये की मदद देने का ऐलान किया है. घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. इसके अलावा पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से भी मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की मदद की घोषणा की गई है. लेकिन ये मुआवजा उन लोगों के लिए कुछ भी नहीं जिन्होंने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया है. वे तो सिर्फ न्याय चाहते हैं, इस मामले की जांच चाहते हैं.
अभी के लिए इंदौर कलेक्टर टी. इलैयाराजा ने इस मामले की जांच अपर कलेक्टर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है. साथ ही 15 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं. आदेश के तहत यह जानने का प्रयास रहेगा कि मृतकों की किन परिस्थितियों में मृत्यु हुई? घटना का घटनाक्रम क्या था? घटनाक्रम में क्या परिस्थितियां थीं? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए क्या किया जाए. इन्हीं बिंदुओं पर जांच की जाएगी और एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी.