मध्य प्रदेश के इंदौर के बहुचर्चित पेंशन घोटाला मामले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को बड़ी राहत मिली है. बीते 17 साल से राज्य शासन की अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में इंदौर जिला न्यायालय में लंबित केस को बंद कर दिया गया है. इस केस को साल 2005 में उजागर करने वाले कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के आरोप लगाए हैं.
अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने बताया कि साल 2006 में परिवाद लगाया गया था. इसमें आरोपियों के विरुद्ध जब तक शासन अनुमति नहीं देता, जब तक संज्ञान नहीं लेता, ऐसे विधिक प्रावधान भी हैं. शासन ने 17 साल में इस संबंध में कोई अनुमति नहीं दी. इसीलिए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट का रिकॉर्ड खराब हो रहा है.
इस केस को 17 साल हो गए और शासन की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है, इसको लेकर परिवाद रिजेक्ट कर दिया गया. शासन ने शिकायतकर्ता को लिबर्टी दी है कि जब भी अनुमति मिले तो कोर्ट को कंप्लेंट रिमाइंड करा सकते हैं.
33 करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने का लगा था आरोप
अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने कहा कि कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने 2005 में इंदौर नगर निगम में 33 करोड़ रुपये से ज्यादा का पेंशन घोटाला करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय, उमा शशि शर्मा, रमेश मेंदोला, ललित पोरवाल, शंकर लालवानी, समीर चिटनिस, कल्याण दिवांग, मधु महादेव वर्मा, उस्मान पटेल, मेघा खानविलकर, सूरज केरो, नीतीश व्यास, संजय शुक्ला, वीके जैन आदि के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में खयानत के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी.