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7 दिन घरवाली और 7 दिन 'बाहरवाली' संग रहने का था वादा... एग्रीमेंट देख कोर्ट ने रेप और गर्भपात के आरोपी को किया बरी

MP News: पुलिस ने शादी के बहाने लिव-इन पार्टनर का बार-बार बलात्कार करने, गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया था. गिरफ्तारी के बाद आरोपी को जेल भेजा गया था. 200 दिन जेल में बिताने के बाद आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर था.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

MP News: इंदौर जिला अदालत ने 34 साल के एक विवाहित शख्स को अपनी लिव-इन पार्टनर के साथ बलात्कार करने, गर्भपात के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोपी को बरी कर दिया है. अपने फैसले में अदालत ने कहा कि दोनों के बीच पहले से एक लिखित एग्रीमेंट हुआ था कि शादीशुदा प्रेमी अपनी पत्नी के साथ 7 दिन और 7 सात दिन प्रेमिका के साथ बिताएगा. 

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27 जुलाई 2021 को शहर के भवरकुआं पुलिस थाने में 29 साल की महिला ने शिकायत दी थी. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ शादी के बहाने बार-बार बलात्कार करने, गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में केस दर्ज किया था. 15 अगस्त 2021 को आरोपी को गिरफ्तार किया गया. 2 मार्च 2022 को जमानत पर रिहा होने से पहले उसने 200 दिन जेल में बिताए. 

एडिशनल सेशन जज जयदीप सिंह ने तथ्यों और सबूतों पर विचार करने के बाद व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (2) (एन) (एक महिला से बार-बार बलात्कार), धारा 313 (महिला की सहमति के बिना उसका गर्भपात) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपों से बरी कर दिया. 

एडवोकेट सोनाली गुप्ता के मुताबिक, अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने 15 जून 2021 को उस पार्टनर के साथ एक एग्रीमेंट यानी करार किया था. कोर्ट ने माना कि करारनामे से ये साफ होता है कि पार्टनर और शिकायत दर्ज करानी वाली महिला लिव-इन रिलेशन में थे. प्रेमिका को प्रेमी के शादीशुदा होने का पता चल चुका था. बावजूद वह 'एग्रीमेंट' के आधार पर उसके साथ रहने को तैयार थी. इसमें यह शर्त तय होती है कि प्रेमी अपनी पत्नी के संग 7 दिन और प्रेमिका के साथ 7 दिन रहेगा. इस जानकारी के बाद भी रिलेशन को आगे बढ़ाया गया. दोनों 2 साल रिलेशन में रहे. 

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अदालत में यह भी माना गया कि गर्भपात के बाद भी और शादीशुदा की जानकारी के बावजूद वह प्रेमी के साथ रही. पत्नी के साथ प्रेमी के रहने से भी सहमत थी, साथ ही आपस में सहमति से संबंध बने. ऐसी स्थिति में बलात्कार और गर्भपात के लिए आरोपी को दोषी नहीं माना जा सकता. जान से मारने की धमकी के संबंध में कोई सबूत नहीं दिखते हैं. ऐसे में अदालत ने महिला के लिव इन पार्टनर को आरोपों से बरी कर दिया.

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