मध्य प्रदेश में बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला राजगढ़ जिले का है, जहां चार साल की मासूम बच्ची बोरवेल में गिर गई. घटना मंगलवार शाम की है. मौके पर पहुंचे लोगों ने परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को दी, जिसके बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. खबर लिखे जाने तक बच्ची को बोरवेल से निकालने का प्रयास जारी रहा.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक एसपी धर्मराज मीना ने बताया कि यह घटना बोदा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत पिपलिया रसोदा गांव की है. रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और बोरवेल शाफ्ट के अंदर बच्ची को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है.
बच्ची को सुरक्षित बाहर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे: शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं. उन्होंने लिखा, “एसडीईआरएफ, एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश कर रही हैं. मैं स्थानीय प्रशासन से लगातार संपर्क में हूं. हम बच्ची को सुरक्षित बाहर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.''
कमलनाथ का भी बयान आया
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यालय की तरफ से एक्स पर पोस्ट किया गया, "राजगढ़ जिले के पिपलिया रसोड़ा गांव में छोटी बच्ची के बोरवेल में गिरने का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि बचाव दल को सफलता मिले और बच्ची सकुशल बाहर निकाली जा सके."
पहले भी कई बच्चे बोरवेल में गिरे
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में बोरवेल में बच्चों के गिरने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी तमाम ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. पिछले तीन साल की बात करें तो 8 ऐसे मामले दर्ज किए जा चुके हैं. नवंबर 2020 में निवाड़ी में प्रहलाद बोरवेल में गिरा था. फरवीर में 2022 में उमरिया में बोरवेल में गौरव तो दमोह में प्रिंस गिरा था. दिसंबर 2022 में बैतूल में तन्मय गिरा था.
साल 2023 की बात करें तो फरवरी में छतरपुर में नैंसी बोरवेल में गिर गई थी. मार्च में विदिशा में लोकेश गिर गया था. अप्रैल में रायसेन में आशीष बोरवेल में गिरा था, वहीं जून 2023 में सीहोर में सृष्टि बोरवेल में गिर गई थी.