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तेल की मालिश और खाने में महंगे फल.... टाइगर रिजर्व में हाथियों की हो रही खूब आवभगत

यह मौका होता है हाथियों के लिए पूरी आज़ादी और मन पसंद खाने की दावत का. उन्हें रिलैक्स करने के लिए मसाज भी दिया जाता है और वो भी आयुर्वेदिक तेलों का. हाथियों का पूरा मेडिकल चेकअप होता. ब्लड सैंपल लिए जाते हैं. उनके नाखून और दांतों को तराशा जाता है.

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कान्हा टाइगर रिज़र्व में हाथियों को परोसे गए फल.
कान्हा टाइगर रिज़र्व में हाथियों को परोसे गए फल.

MP News: मंडला जिले कान्हा टाइगर रिज़र्व में इन दिनों हाथी रिजुविनेशन कैंप चल रहा है. इस कैंप में पार्क के 18 में से 16 हाथी शामिल हैं. इस कैंप में हाथियों के ऊपर कोई बंधन नहीं होता. उनसे कोई काम भी नहीं लिया जाता. यह मौका होता है हाथियों के लिए पूरी आज़ादी और मन पसंद खाने की दावत का. उन्हें रिलैक्स करने के लिए मसाज भी दिया जाता है और वो भी आयुर्वेदिक तेलों का. 

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हाथियों का पूरा मेडिकल चेकअप होता. ब्लड सैंपल लिए जाते हैं. उनके नाखून और दांतों को तराशा जाता है. इस कैंप में हाथियों को वो सब दिया जाता है जो उन्हें पसंद है. कैंप में हाथियों की सुबह की शुरुआत नहाने से होती है. हाथियों के पैर में नीम तेल और सिर में अरण्डी तेल की मालिश की जाती है. मालिश के बाद खाने का समय हो जाता है. 

खाने में हाथियों को गन्ना, केला, मक्का, आम, अनानास, नारियल परोसा जाता है. फिर उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है. दोपहर में हाथियों को जंगल से पुनः वापस लाकर और नहलाकर कैंप में लाया जाता है. फिर इन्हें रोटी, गुड़, नारियल, पपीता खिलाकर दोबारा जंगल में छोड़ दिया जाता है. कैंप में हाथी के लिए मौका होता है. अपने साथी को चुनने का भी. कैंप के बाद हाथी तरोताजा होकर एक बार फिर पार्क के दुर्गम क्षेत्रों की सुरक्षा में अपनी महती भूमिका निभाने के लिए निकल जाते हैं.

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कान्हा टाइगर रिजर्व मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र संचालक एसके सिंह ने बताया, हर साल हम एक सप्ताह का एलीफैंट रिजुवेनेशन कैंप का आयोजन करते हैं. इस बार हमने 17 सितंबर से 23 सितंबर तक इसको आयोजित किया है. 17 सितंबर को उसका उद्घाटन किया गया और 23 तक हम लगातार तमाम गतिविधियां करते रहते हैं. यह मूल रूप से हमारे ड्यूटी करने वाले हाथियों के अवकाश का समय होता है. 

इस अवकाश के समय उनकी हेल्थ और बाकी सब पैरामीटर की जांच होती है. इसके साथ ही उनके महावत और चारा कटर होते हैं. उनके भी चेकअप होते हैं क्योंकि मानसून सीजन में उनको दुर्गम क्षेत्रों में रखते हैं, तो उसमें से आने के बाद यदि उनको  कोई बीमारी हो तो उसका इलाज हो सके और नई ऊर्जा से हमारे हाथी अपने-अपने काम पर चले जाते हैं. 

सुबह हाथियों को नहलाया जाता है. उसके बाद उनकी तेल मालिश की जाती है और उसके साथ उनके दांत और नाखूनों की साफ सफाई होती है. नाखून बढ़ रहे हो तो उनकी छंटाई की जाती है जिससे उसमें कोई घाव पैदा ना हो. इसके बाद उनको दिन में नाश्ता किया जाता है जिसमें फल और गन्ना विशेष रूप से होता है. सोयाबीन और चना के मिश्रित आटे की रोटियां बना कर दी जाती हैं. उसके साथ ही उनको एंटीबायोटिक देते हैं. शाम को फिर हम एक बार उनको इकट्ठा करते हैं गुड़ और रोटी देते हैं. बाकी दिनों में यह जंगल में अपना आहार लेते हैं.

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इस कैंप में 18 हाथी हैं जिसमें 16 हाथी इसमें भाग ले रहे हैं. एक हाथी हमारा दूसरे नेशनल पार्क ड्यूटी पर गया हुआ है और दूसरा हाथी मद में होने कारण से कैंप में शामिल नहीं है. अभी जो हाथी कैंप के अंदर शामिल हैं, उसमें सबसे वरिष्ठ हाथी की उम्र 78 साल है और जो सबसे छोटा हाथी है उसकी उम्र सवा साल है. 

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