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बच्चियों को गर्म चिमटे से दागा, 5 महिलाओं पर FIR दर्ज… इंदौर का 'Orphanage' सील

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में चल रहे एक अनाथालय को प्रशासन ने सील कर दिया है. आरोप है कि यहां 4 से 14 साल की नाबालिग बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. सभी बच्चियां मूल रूप से गुजरात और राजस्थान की रहने वाली हैं. पुलिस का कहना है कि जांच अभी शुरुआती चरण में है. दूसरी ओर एनजीओ ने लगाए गए सभी आरोपों को झूठा करार दिया है. 

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विजयनगर क्षेत्र में स्थित वात्सल्यपुरम को सील कर दिया गया है.
विजयनगर क्षेत्र में स्थित वात्सल्यपुरम को सील कर दिया गया है.

इंदौर के एक अनाथालय में नाबालिग लड़कियों ने दुर्व्यवहार और सजा दिए जाने के तरीकों की भयानक कहानियां सुनाई हैं. बच्चियों ने कहा कि उन्हें गर्म चिमटे से दागना, उल्टा लटकाना और जलती हुई लाल मिर्च का धुआं लेने के लिए मजबूर किया जाता था. इस जानकारी के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया. अनाथालय को सील करने के साथ ही पुलिस को पांच महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा गया है. 

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एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष लड़कियों ने चौंकाने वाली घटनाओं के बारे में बताया था. सजा के नाम पर बच्चों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया जा रहा था. इस मामले में अनाथालय से जुड़ी पांच महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. 

अधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने 12 जनवरी को अवैध संचालन के लिए विजयनगर क्षेत्र में स्थित वात्सल्यपुरम को सील कर दिया है. यहां रहने वाली चार से 14 साल की उम्र की लड़कियों को राज्य संचालित बाल संरक्षण गृह और एक अन्य संस्थान में स्थानांतरित कर दिया है. 17 जनवरी की रात दर्ज की गई एफआईआर में लिखा गया है कि चार साल की बच्ची को गंदे कपड़े पहनने के कारण पीटा गया. कई घंटों तक बाथरूम में बंद रखा गया और दो दिनों तक खाना नहीं दिया गया.

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एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि बच्चों को उल्टा लटका दिया गया और नीचे गर्म तवे पर रखी लाल मिर्च का धुआं लेने के लिए मजबूर किया गया. अधिकारी ने दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा कि दो बच्चियों ने एक नाबालिग लड़की के हाथों गर्म चिमटे से दागा. एक लड़की को अन्य बच्चों के सामने निर्वस्त्र करने के बाद भट्टी में ले जाया गया और जला देने की धमकी दी गई.

NGO ने हाई कोर्ट में लगाई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

दूसरी ओर, इस संस्थान को चलाने वाले गैर सरकारी संगठन जैन वेलफेयर सोसायटी ने उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. निजी संस्था के वकील विभोर खंडेलवाल ने पीटीआई को बताया, ''वात्सलयपुरम एक अनाथालय नहीं है. यह एक स्टैंडअलोन छात्रावास है, जहां आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की देखभाल सिर्फ 5 रुपये की वार्षिक फीस पर की जाती है.''

खंडेलवाल ने दावा किया कि प्रशासन ने "अनधिकृत रूप से" वात्सल्यपुरम को सील कर दिया था और बच्चियों को दूसरे संस्थानों में स्थानांतरित करते समय मानदंडों और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में मांग की गई है कि बच्चों को छात्रावास प्रशासन या उनके माता-पिता को सौंप दिया जाए. खंडेलवाल ने एफआईआर में उल्लिखित आरोपों को भी खारिज कर दिया. 

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शुरुआती चरण है मामले की जांच- पुलिस 

इंदौर स्थित बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल ने कहा कि अनाथालय से बचाए गए बच्चे राजस्थान और गुजरात के मूल निवासी हैं. वहीं, विजय नगर पुलिस थाने की उप-निरीक्षक कीर्ति तोमर ने कहा कि अनाथालय से जुड़ी पांच महिलाओं के खिलाफ आईपीसी और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि इन आरोपों की जांच अभी शुरुआती चरण में है.

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