MP News: कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में छोड़े जाने के 24 घंटे के भीतर ही 2 चीतों ने पहला शिकार कर लिया. चीतों ने रविवार की रात या सोमवार की तड़के एक चीतल (चित्तीदार हिरण) का शिकार किया. 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए चीतों का यह पहला शिकार है. पीसीसीएफ जसवीर सिंह चौहान ने आजतक को बताया कि अब चीते खुद शिकार कर अपना भोजन प्राप्त करेंगे, लेकिन जरूरत पड़ी तो उन्हें बाहर से भी भोजन दिया जाएगा.
कूनो नेशनल पार्क में छोटे बाड़ों से निकालकर बड़े बाड़े में छोड़े गए दोनों चीतों ने पहले दिन रविवार को न सिर्फ खुले जंगल में मस्ती की, बल्कि कई बार कई दफा चीतल और सांभर को देख तेज रफ्तार से दौड़ भी लगाई और शिकार की कोशिश भी की. हालांकि, कुछ समय बाद दोनों अपने प्रयास में सफल हो गए. वहीं, विशेषज्ञों ने बाकी 6 चीतों को बड़े बाड़े में नहीं छोड़ा, बल्कि इन दोनों नर चीतों की ही मॉनिटरिंग की. बड़े बाड़े में घूमते चीतों का Video:-
यही वजह है कि रविवार को बड़े बाड़े में अन्य चीतों को छोड़ने के बजाय इन्हीं दोनों भाइयों का व्यवहार देखा गया. विशेषज्ञों ने बड़े के सीसीटीवी कैमरों के साथ ही ड्रोन कैमरे के जरिए इन चीतों की मॉनिटरिंग की, जिसमें पाया गया कि दोनों चीतों ने बाड़े में खूब उछल कूद की. दोनों चीतों का व्यवहार भी बेहतर नजर आया, जिससे लगा कि अफ्रीकी चीतों को कूनो का जंगल रास आ रहा है.
बचे 6 चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ने पर मंथन
2 चीते बड़े बाड़े में छोड़े जाने के बाद अभी 6 चीते छोटे बाड़ों में ही क्वारंटीन हैं. हालांकि रविवार को कोई चीता नहीं छोड़ा गया, लेकिन टास्क फोर्स के सदस्य कूनो में ही डटे रहे और दिन भर इसी पर मंथन किया. अधिकारियों का कहना है कि सभी चीतों को एक साथ बड़े बाड़े में नहीं छोड़ सकते हैं. पहले देखेंगे कि जिन 2 को छोड़ा है, वह बाहर ठीक तरह से रह पा रहे हैं या नहीं, उसके बाद ही बाकियों को एक दो करके ही छोड़ेंगे.
बता दें कि भारत सरकार में वन विभाग के आईजी अमित मलिक, डब्ल्यूआईआई के डीन वाईवी झाला, मप्र के पीसीसीएफ(वन्यप्राणी) जेएस चौहान, पीसीसीएफ(वनबल प्रमुख) आरके गोयल सहित नामीबियाई विशेषज्ञ वाल्ट आदि विशेषज्ञों ने सारी संभावनाएं तलाशीं, लेकिन अब शेष चीते कब छोड़े जाएंगे, इस पर निर्णय नहीं हो सका.
जल्द ही होगा चीतों का नामकरण
कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए नामीबिया के 8 चीतों को जल्द ही उनके नए नाम मिलने जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि चीतों के नामकरण के लिए चलाई गई ऑनलाइन प्रतियोगिता प्रतियोगिता में देशभर के लोगों ने 11 हजार से ज्यादा नाम सुझाए हैं. वहीं, चीता प्रोजेक्ट के लिए भी लोगों ने 18 हजार से अधिक नाम ऑनलाइन सुझाए हैं. बताया गया है कि अब इन्हीं नामों से चीतों और चीता प्रोजेक्ट का नामकरण होगा.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों से आह्वान किया था कि इन चीतों के नाम सुझाएं और पारंपरिक नाम बताएं. साथ ही सबसे पहले चीता देखने का मौका पाएं. यही वजह है कि केंद्र सरकार के MyGov पोर्टल पर 26 सितंबर से ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरू की गई, जो 31 अक्टूबर तक चली.
चीतों के ये नाम सुझाए गए
MyGov पोर्टल पर लोगों ने कई तरह के पारंपरिक नाम चीतों के सुझाए हैं. जिसमें एक शख्स ने नर चीतों के नाम शिव, गणेश, विष्णु, ब्रह्मा और मादा चीतों के नाम पार्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, गौरी, देवी रखने का सुझाव दिया है. वहीं, कुछ लोगों ने नर चीतों के लिए कल्याण, अमृत, नाम्बी, सिन्धु, रविन्द्र, शिवा, आरम्भ और मादा चीतों के लिए कावेरी, मनु, विंध्या, कोकिला, कश्मीरा, जयन्ती, वैशाखी और काली बताया है.
चीता प्रोजेक्ट के लिए आए ये नाम
ऑनलाइन प्रतियोगिता में चीता प्रोजेक्ट के लिए जो नाम सुझाए गए हैं, उनमें प्रोजेक्ट अविनाश, मिशन रिटर्निंग चीता इन इंडिया, राष्ट्रीय चीता पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट जैसे 18 हजार से अधिक नाम शामिल हैं.